विनोद कुमार झा
नवरात्रि का त्योहार आते ही माता दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ भी विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि नवरात्रि में प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह पाठ संकटों से छुटकारा दिलाने और मनोकामनाएं पूरी करने का सबसे प्रभावी साधन माना गया है। दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय होते हैं, जिन्हें नियमपूर्वक पढ़ने से विशेष फल प्राप्त होता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ के महत्वपूर्ण नियम
1. पाठ का सही स्थान : दुर्गा सप्तशती की पुस्तक को कभी हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसे व्यासपीठ या लाल कपड़े पर रखकर ही पढ़ें।
2. पाठ में रुकावट न हो : एक बार पाठ शुरू करने के बाद बीच में रुकावट नहीं होनी चाहिए। आप एक अध्याय समाप्त होने के बाद 10-15 सेकंड का विराम ले सकते हैं।
3. उच्चारण की गति : पाठ करते समय न तो बहुत तेज बोलें और न ही बहुत धीमे। मध्यम गति से और स्पष्ट उच्चारण के साथ पाठ करें।
4. शुद्धि आवश्यक : पाठ शुरू करने से पहले आसन में बैठकर खुद की शुद्धि अवश्य करें।
5. पुस्तक का आदर : पाठ शुरू करने से पहले दुर्गा सप्तशती की पुस्तक का नमन और ध्यान करें।
6. पाठ का क्रम : यदि एक दिन में पूरा पाठ संभव न हो तो पहले दिन मध्यम चरित्र और अगले दिन शेष अध्यायों का पाठ करें।
7. नवचंडी पाठ : पाठ से पहले और बाद में 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे' का पाठ करें।
8. भाषा की सरलता : यदि संस्कृत में पाठ कठिन हो तो आप इसे हिन्दी में भी कर सकते हैं, जिससे अर्थ आसानी से समझा जा सकेगा।
9. पूर्ण पाठ करें : किसी भी अध्याय को अधूरा न छोड़ें। कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलित करें।
10. क्रम से पाठ करना चाहिए : प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसे महाविद्या क्रम कहते हैं।
इन नियमों का पालन कर आप दुर्गा सप्तशती के पाठ से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं।