Navratri 2024: नवरात्रि में विधि के अनुसार करें कलश स्थापना, नहीं तो मां हो जाएंगी नाराज

विनोद कुमार झा


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की उपासना का सबसे पवित्र समय होता है। नौ दिनों तक हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है, और इस दौरान कलश स्थापना का विशेष महत्व है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना से होती है, जिसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है। 

इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6:19 बजे से 7:23 बजे तक और दोपहर 11:46 बजे से 12:33 बजे तक रहेगा। 

कलश स्थापना करते समय कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है ताकि मां दुर्गा प्रसन्न हों। आइए जानते हैं कलश स्थापना की सही विधि और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

कलश स्थापना की विधि

1. कलश की तैयारी : सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं, फिर मौली बांधें। कलश में जल भरकर उसमें साबुत सुपारी, फूल, इत्र, पंचरत्न, सिक्का और अक्षत डालें।

2. स्थान चयन : कलश को शुभ मुहूर्त में स्थापित करें। पूजा स्थल पर लाल और सफेद कपड़े पर अक्षत से अष्टदल बनाएं और उस पर कलश रखें। 

3. पूजा प्रक्रिया : इष्ट देव का ध्यान कर देवी मंत्र का जाप करें और मिट्टी के पात्र में ज्वारे रोपें, जो मां का प्रतीक माने जाते हैं।

कलश स्थापना के नियम


1. मुंह ढकें : कलश का मुंह खुला न रखें, उसे ढक्कन से ढककर चावलों से भरें और उसके बीच नारियल रखें।

2. सही दिशा : कलश को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्थापित करें, यह देवताओं की दिशा मानी जाती है।

3. अखंड ज्योति : अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं, तो उसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें और पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।

4. सफाई का ध्यान : पूजा स्थल साफ-सुथरा होना चाहिए। घट स्थापना चंदन की लकड़ी पर करें, जिससे शुभता बढ़ती है।

5. ध्वजा की स्थापना : यदि नवरात्रि में ध्वजा बदल रहे हैं, तो इसे वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में घर की छत पर लगाएं।

6. पूजा स्थल की व्यवस्था : पूजा स्थल के आस-पास पर्याप्त स्थान होना चाहिए, जहां बैठकर ध्यान और पाठ किया जा सके।

7. शौचालय की दूरी : घट स्थापना स्थल के पास शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए। 

इन नियमों का पालन कर नवरात्रि में कलश स्थापना करें और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।

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