कैसे हुई शंख की उत्पत्ति ? आइए जानते हैं

विनोद कुमार झा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शंख की उत्पत्ति का माध्यम शंखचूड़ है  जो दानव कुल में जन्मे थे, भगवान श्रीकृष्ण का ही अंश माने जाते थे। उनकी कथा भारतीय धर्मशास्त्रों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शंखचूड़ का जीवन, उनके द्वारा धारण किया गया दिव्य कवच, और अंततः उनका भगवान शंकर द्वारा वध—ये सभी घटनाएँ धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णित हैं। शंखचूड़ की मृत्यु के बाद, उनकी हड्डियों से शंख की उत्पत्ति हुई, जिसे आज भी देवताओं की पूजा में अत्यंत पवित्र माना जाता है। 

 शंख का धार्मिक महत्व

शंख भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शंख न केवल पूजन की एक महत्वपूर्ण वस्तु है, बल्कि इसे विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भी प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। शंख को भगवान विष्णु का अधिष्ठान माना जाता है, और जहाँ शंख की ध्वनि होती है, वहाँ अमंगल दूर भाग जाते हैं। शंख का जल अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे तीर्थ जल के समान माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति शंख के जल से स्नान करता है, उसे सम्पूर्ण तीर्थों में स्नान का फल प्राप्त होता है।

 शंख की उत्पत्ति और पवित्रता

शंखचूड़ की मृत्यु के पश्चात उनकी हड्डियों से शंख उत्पन्न हुआ। इस शंख की उत्पत्ति को धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक पवित्र माना जाता है। पुराणों के अनुसार, जब शंखचूड़ का शरीर जलकर भस्म हो गया, तब उनकी हड्डियाँ दिव्य शंख में परिवर्तित हो गईं। इस शंख को देवताओं की पूजा में अत्यंत पवित्र माना जाता है और यह विभिन्न रूपों में उपलब्ध है। शंख का जल इतना पवित्र होता है कि इसे भगवान विष्णु के अभिषेक में भी उपयोग किया जाता है। शंख से उत्पन्न ध्वनि से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक शक्तियाँ दूर भागती हैं। यही कारण है कि शंख को हिन्दू धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

 शंखध्वनि और धार्मिक अनुष्ठान


शंखध्वनि का महत्व धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष रूप से देखा जाता है। जब शंखध्वनि होती है, तो उसे शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इसे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का प्रिय माना गया है। शंखध्वनि से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है। शंखध्वनि के समय भगवान श्रीहरि स्वयं वहाँ विराजमान होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। 

 शंख का आध्यात्मिक महत्व


शंख आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इसे घर में रखने से समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है। शंख का उपयोग विभिन्न यज्ञों, पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। इसके जल का अभिषेक करने से समस्त तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है और इससे भगवान श्रीविष्णु अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। 

शंख का महत्व केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं है, बल्कि इसे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है। शंख के जल में औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर को शुद्ध करने और विभिन्न रोगों को दूर करने में सहायक होते हैं। 

इस प्रकार, शंखचूड़ की हड्डियों से उत्पन्न शंख, जो देवताओं की पूजा में प्रमुखता से उपयोग किया जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म में एक महत्वपूर्ण धरोहर के रूप में देखा जाता है। इसका धार्मिक, आध्यात्मिक, और सांस्कृतिक महत्व अनमोल है और यह सदियों से भारतीय परंपराओं में पूजनीय बना हुआ है।

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