विनोद कुमार झा
शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ विधि-विधान और नियमों के अनुसार किया जाए, तो साधक की हर मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। सामान्यतः दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ करने में लगभग तीन घंटे का समय लगता है, लेकिन यदि समय की कमी हो, तो एक संक्षिप्त विधि द्वारा भी पाठ किया जा सकता है।
संक्षिप्त विधि इस प्रकार है:-
अगर पूरे पाठ के लिए समय नहीं है, तो नवरात्रि के दौरान हर दिन सबसे पहले कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करें, इसके बाद कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। यह विधि स्वयं भगवान शिव ने देवी पार्वती को बताई थी, और इससे संपूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ का फल प्राप्त होता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ विधि इस प्रकार है : इस सरल विधि में अलग-अलग दिनों में अध्यायों का पाठ इस प्रकार किया जाता है:-
प्रथम दिन: पहले अध्याय का एक पाठ करें।
दूसरा दिन : द्वितीय और तृतीय अध्याय का पाठ करना चाहिए।
तीसरा दिन : चतुर्थ अध्याय का पाठ करना चाहिए।
चौथा दिन : पंचम, षष्ठ, सप्तम, और अष्टम अध्याय का पाठ करें।
पांचवा दिन : नवम और दशम अध्याय का पाठ करें।
छठा दिन : ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए।
7. सातवां दिन : द्वादश और त्रयोदश अध्याय का पाठ करें।
इस विधि से सप्तशती का एक पाठ पूरा होता है।
पाठ से विशेष लाभ
1. दुर्गा सप्तशती की तीन आवृत्तियां करने से संकटों की शांति होती है।
2. पांच बार पाठ करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।
3. सात बार पाठ करने से महाभय का निवारण होता है।
4. नौ बार पाठ करने से प्राण संकट से मुक्ति और शांति प्राप्त होती है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ, चाहे संक्षिप्त हो या विस्तृत, मां दुर्गा की कृपा पाने का अचूक साधन है।