शरद पूर्णिमा को खीर का प्रसाद बनाने की परंपरा धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है, "पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः," जिसका अर्थ है कि चंद्रमा की अमृतमयी किरणें सम्पूर्ण वनस्पतियों को पुष्ट करती हैं। (गीता 15.13)
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य और सकारात्मकता प्रदान करती है, क्योंकि इस समय चंद्रमा पृथ्वी के बहुत समीप होता है। चंद्रमा की किरणों में विशेष प्रकार के लवण और विटामिन होते हैं जो खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में वृद्धि करते हैं। इस दिन खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है ताकि चंद्रमा की किरणों से इसका पोषण बढ़ सके, और फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इससे स्वास्थ्य लाभ होते हैं और माना जाता है कि यह रोगमुक्ति और दीर्घायु प्रदान करता है।
शरद पूर्णिमा की पौराणिक कथा
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे कोजागिरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है।
एक कथा के अनुसार, एक साहूकार की दो पुत्रियां थीं, जो पूर्णिमा का व्रत करती थीं। बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी जबकि छोटी अधूरा। इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की संतानें जीवित नहीं रहती थीं। पंडितों के सुझाव पर उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया, जिससे उसकी संतान जीवित हो गई। इस घटना के बाद नगर में पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक करने का संदेश फैलाया गया।
स्वास्थ्य के लिए शरद पूर्णिमा का महत्त्व
रात्रि जागरण के कारण इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि रात में जागरण करने से कफ के प्रकोप को कम किया जा सकता है। मधुमेह रोगी भी इस खीर का सेवन कर सकते हैं, यदि उसमें मिश्री की जगह स्टीविया की पत्तियों का प्रयोग किया जाए। यह खीर स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी लाभकारी होती है, विशेषकर उर्ध्वजत्रुगत समस्याओं जैसे साइनसाइटिस में।
शरद पूर्णिमा का लाभ उठाएं
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों का संपूर्ण लाभ उठाने के लिए इस खीर का सेवन किया जाता है। हालांकि, ध्यान रहे कि दिन में सोना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया है।
इस प्रकार, शरद पूर्णिमा को खीर का प्रसाद धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक लाभ का प्रतीक है, जो स्वस्थ जीवन और रोगमुक्ति की कामना से जुड़ा हुआ है।