विनोद कुमार झा
नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का प्रमुख समय है। यह नौ दिन का पर्व माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना और आराधना के लिए मनाया जाता है। हर दिन माता के एक रूप की पूजा होती है, जिनका अपना अलग-अलग महत्व, कथा और पूजन विधि है। इस लेख में हम माता के नौ रूपों की विशेषताएँ, उनसे जुड़ी कहानियाँ, और उनकी पूजा से मिलने वाले लाभों के बारे में जानेंगे।
मां के नौ रूपों की मंत्र इस प्रकार हैं :-
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।'
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।'
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।'
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।'
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।'
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।'
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।'
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।'
माँ शैलपुत्री (पहला दिन)
माँ शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं। यह पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जिनका वाहन वृषभ (बैल) है और उनके हाथ में त्रिशूल और कमल होता है। इन्हें माँ पार्वती का प्रथम रूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से जीवन में स्थिरता और शांति आती है। यह व्यक्ति को प्रकृति और अध्यात्म से जोड़ती हैं।
कथा : पूर्वजन्म में ये सती के रूप में दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था। यज्ञ में अपमान के बाद सती ने अपने जीवन का त्याग किया, और फिर शैलपुत्री के रूप में पुनर्जन्म लिया।
लाभ : माँ शैलपुत्री की पूजा से स्थिरता और मनोबल मिलता है। इस दिन साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन)
माँ ब्रह्मचारिणी तप और संयम का प्रतीक मानी जाती हैं। यह दूसरे दिन पूजी जाती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी ने तपस्या कर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।
कथा : माँ ने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया। उन्होंने हजारों वर्षों तक भोजन नहीं किया और तपस्या जारी रखी।
लाभ : माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में संयम, धैर्य, और साधना की शक्ति मिलती है। यह तप और आत्मिक शक्ति का वरदान देती हैं।
माँ चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
माँ चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती हैं। इनके माथे पर अर्धचंद्र की आकृति होती है और यह अपने भक्तों को अद्भुत शांति और साहस प्रदान करती हैं। माँ का रूप शांतिप्रिय होते हुए भी युद्ध में उग्र रूप धारण कर शत्रुओं का नाश करती हैं।
कथा : शिव से विवाह के समय इनका यह रूप प्रकट हुआ, जब उन्होंने युद्ध की मुद्रा में चंद्रघंटा धारण की।
लाभ : माँ चंद्रघंटा की पूजा से मानसिक और भावनात्मक शांति मिलती है। इनकी आराधना से डर, तनाव और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
माँ कूष्माण्डा (चौथा दिन)
माँ कूष्माण्डा को सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली देवी माना जाता है। यह ब्रह्मांड की रचना करने वाली शक्ति हैं और नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाती हैं।
कथा : जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब माँ कूष्माण्डा ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इस कारण इन्हें आदिशक्ति कहा जाता है।
लाभ : इनकी पूजा से शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं और आयु, यश, और बल की प्राप्ति होती है। भक्तों को सुख-समृद्धि मिलती है।
माँ स्कंदमाता (पाँचवां दिन)
माँ स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पाँचवे दिन होती है। यह भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और अपने भक्तों को प्रेम और वात्सल्य प्रदान करती हैं।
कथा : देवी ने देवासुर संग्राम में अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध में भेजा और असुरों का संहार किया।
लाभ : माँ स्कंदमाता की आराधना से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह प्रेम, वात्सल्य और सुख का आशीर्वाद देती हैं।
माँ कात्यायनी (छठा दिन)
माँ कात्यायनी देवी का रूप उग्र और शक्तिशाली है। यह नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाती हैं। यह युद्ध की देवी मानी जाती हैं जो अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
कथा : ऋषि कात्यायन की कठोर तपस्या से देवी ने जन्म लिया और असुर महिषासुर का वध किया।
लाभ : माँ कात्यायनी की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और भक्त को विजय और साहस की प्राप्ति होती है। विशेषकर दुश्मनों पर विजय के लिए इनकी आराधना की जाती है।
माँ कालरात्रि (सातवां दिन)
माँ कालरात्रि का स्वरूप अति भयंकर है लेकिन यह अपने भक्तों के सभी प्रकार के भय का नाश करती हैं। यह नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाती हैं।
कथा : देवी ने राक्षस रक्तबीज का संहार करने के लिए कालरात्रि का रूप धारण किया था, जिससे उसका रक्त गिरते ही नया रक्तबीज उत्पन्न हो जाता था।
लाभ : माँ कालरात्रि की पूजा से भय, दुख, और राक्षसी शक्तियों का अंत होता है। यह विशेषकर आकस्मिक संकटों से रक्षा करती हैं।
माँ महागौरी (आठवां दिन)
माँ महागौरी का रूप अत्यंत कोमल और श्वेत वर्ण का होता है। यह आठवें दिन पूजी जाती हैं। माँ महागौरी जीवन की सारी बाधाओं और दुखों को दूर करती हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।
कथा : माँ महागौरी ने कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और गौरी रूप धारण किया।
लाभ : माँ महागौरी की पूजा से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है और भक्त के पापों का नाश होता है। यह शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
माँ सिद्धिदात्री (नौवां दिन)
माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन पूजी जाती हैं। यह सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं और सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की जाती है।
कथा: देवी ने भगवान शिव को सिद्धियाँ प्रदान कीं और इसी कारण शिव अर्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए।
लाभ : माँ सिद्धिदात्री की आराधना से भक्त को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यह आध्यात्मिक उन्नति के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
नवरात्रि की पूजा का महत्त्व और लाभ
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करना न केवल आध्यात्मिक शांति और समृद्धि लाता है, बल्कि जीवन के कष्टों, संकटों, और रोगों से भी मुक्ति दिलाता है। यह पर्व आत्मशुद्धि और आत्मिक उन्नति के लिए आदर्श माना जाता है। नवरात्रि की उपासना से व्यक्ति के अंदर नई ऊर्जा और आत्मबल का संचार होता है।