उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ महापर्व संपन्न, व्रतियों ने देशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

विनोद कुमार झा, खबर मार्निंग

देश और विदेशों में मनाए जा रहे चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन आज उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। लाखों श्रद्धालु छठ व्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपने कठिन तप और व्रत का विधिवत पारण किया। चार दिनों से चले आ रहे इस महापर्व में श्रद्धालुओं ने सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना की, अपनी मनोकामनाओं के साथ देश-विदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।

व्रतियों ने अर्घ्य देने के बाद छठी मैया के प्रसाद, जिसे ‘ठेकुआ’ कहा जाता है, एक-दूसरे को बांटा। यह प्रसाद पारिवारिक और सामाजिक समर्पण का प्रतीक माना जाता है, और इसे बांटकर श्रद्धालुओं ने मिलजुलकर पर्व की समाप्ति की खुशियां साझा कीं। 

महापर्व के अंतिम दिन का दृश्य अत्यंत भव्य था। व्रती और श्रद्धालु अलसुबह से ही नदी, तालाब और घाटों पर एकत्रित हुए। पारंपरिक छठ गीतों की मधुर धुनों और वातावरण में गूंजती 'जय छठी मैया' की आवाजों के बीच, भक्तों ने सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित किया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लिया और पूजा स्थल पर उपस्थित लोगों के साथ पर्व की मिठास साझा की। 

इस महापर्व के दौरान छठ व्रतियों ने कठिन नियमों का पालन करते हुए भगवान भास्कर और छठी मैया की उपासना की। इस अवसर पर व्रतियों ने भगवान से अपने परिवार, समाज और देश की खुशहाली की प्रार्थना की। 

छठ महापर्व का यह दृश्य न केवल भक्ति का प्रतीक है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी परिचायक है, जो हर वर्ष श्रद्धालुओं में अटूट आस्था और विश्वास को पुनः स्थापित करता है।

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