विनोद kumar झा
"हनुमान जी की इस अद्वितीय छलांग और उनके बल का सुंदर वर्णन वाल्मीकि रामायण में मिलता है, जो उनकी अपार भक्ति और शक्ति को दर्शाता है। "
वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड में समुद्र लांघने की चुनौती का वर्णन मिलता है। वानरों ने अपनी-अपनी क्षमता बताई—गज 10 योजन, गवाक्ष 20, और अंगद 100 योजन तक छलांग लगाने में सक्षम थे। वृद्ध जामवंत ने 90 योजन तक जाने की बात कही, लेकिन सभी का ध्यान हनुमान जी की ओर गया, जिन्हें उनके बल का ज्ञान नहीं था। जामवंत जी ने उन्हें उनकी शक्ति का स्मरण कराया, जिससे प्रेरित होकर हनुमान जी ने समुद्र के 100 योजन पार कर माता सीता की खोज का संकल्प पूरा किया।
यह प्रसंग किष्किंधा कांड के सर्ग 64 और 65 में वर्णित है। जब सम्पाती रावण का पता बताता है, तब अंगद वानरों से पूछते हैं कि कौन कितना योजन समुद्र को पार कर सकता है। वानरों ने अपनी क्षमता इस प्रकार बताई आइए जानते हैं:-
गज : 10 योजन तक छलांग लगा सकते हैं।
गवाक्ष : 20 योजन तक जाने की शक्ति रखते हैं।
शरभ : 30 योजन पार कर सकते हैं।
ऋषभ : 40 योजन तक जा सकते हैं।
गंधमादन : 50 योजन तक छलांग लगा सकते हैं।
मैन्द : 60 योजन तक जाने में सक्षम हैं।
द्विविद : 70 योजन तक छलांग लगा सकते हैं।
सुषेण : 80 योजन तक जा सकते हैं।
जामवंत : उन्होंने कहा कि युवावस्था में वे अत्यंत शक्तिशाली थे। भगवान वामन के विराट रूप की 21 परिक्रमा उन्होंने थोड़े समय में की थी। हालांकि अब वृद्धावस्था के कारण उनकी शक्ति कम हो गई है, फिर भी वे 90 योजन तक जा सकते हैं।
अंगद : अंगद ने कहा कि वे 100 योजन का समुद्र पार कर सकते हैं, लेकिन लौटने की शक्ति पर उन्हें संदेह था। इस पर जामवंत जी ने अंगद को सांत्वना देते हुए कहा कि यदि वे चाहें, तो 1 लाख योजन तक भी जा सकते हैं, लेकिन उनके युवराज होने के कारण उनका जाना उचित नहीं।
इसके बाद जामवंत जी ने हनुमान जी को उनके अद्वितीय बल का स्मरण कराया और प्रेरित किया। हनुमान जी ने अपने विराट रूप में समुद्र को 100 योजन पार किया।