विनोद kumar झा Khabar Morning
महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में वर्णित एक रोचक कथा के अनुसार जनकपुत्री सीता और शुक पक्षी का संवाद उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का आधार बनता है। यह घटना उस समय की है जब सीता सखियों के साथ उद्यान में विचरण कर रही थीं। वहां उन्होंने एक शुक पक्षी का जोड़ा देखा, जो श्रीराम और सीता के भविष्य के बारे में मधुर वार्ता कर रहा था।
सीता ने सखियों के माध्यम से उन पक्षियों को पकड़वाकर उनसे संवाद किया। पक्षियों ने महर्षि वाल्मीकि की रामायण के पदों का उल्लेख करते हुए ## श्रीराम के स्वरूप, बल, पराक्रम, और सीता के साथ उनके विवाह की जानकारी दी। शुक पक्षी ने श्रीराम के अनुपम सौंदर्य और गुणों का वर्णन किया, जिससे सीता का मन अभिभूत हो गया।इस वार्ता के बाद, सीता ने गर्भवती शुकी को अपने पास रोक लिया। हालांकि, शुकी और उसके पति ## शुक ने कई बार सीता से निवेदन किया कि उन्हें वन लौटने दें, लेकिन सीता ने उनकी प्रार्थनाओं को अनसुना कर दिया। क्रोधित और दुःखी शुकी ने सीता को शाप दिया कि गर्भवती अवस्था में उन्हें भी अपने पति श्रीराम से वियोग का सामना करना पड़ेगा।
शाप के पश्चात, शुकी ने श्रीराम का स्मरण करते हुए प्राण त्याग दिए और भगवान के धाम को प्रस्थान किया। शुक पक्षी ने भी सीता को चेताया कि वह अयोध्या में जन्म लेकर अपने वचनों का बदला चुकाएगा और प्राण त्याग कर शोकमग्न हो गया।
यह कथा न केवल रामायण के प्रसंगों की गहराई को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे वाणी और कर्म के परिणाम जीवन पर प्रभाव डालते हैं।