महाकुंभ 2025 : सनातन के संगम से विश्व को एकता का संदेश

विनोद kumar झा

महाकुंभ के शाही स्नान को पाँच दिन बीत चुके हैं। प्राचीन संगम तट पर डुबकी लगाने की आकांक्षा लिए करोड़ों श्रद्धालु 44 घाटों पर उमड़े हैं। जाति, धर्म, पंथ, मतभेदों से परे यह आयोजन सनातन संस्कृति की अनूठी शक्ति का प्रतीक बन चुका है। संदेश साफ है—“हम नहीं बंटे”। यह अद्वितीय एकता केवल भारत से ही संभव है, जो संगम तट से विश्व को “हर-हर महादेव” के साथ एकता और शांति का संदेश दे रहा है।  

संगम की ओर बढ़ते कदम: मुक्ति का अनुभव

मेला प्राधिकरण से लेकर संगम की रेतीली धरती तक पहुंचने वाले हर कदम में आध्यात्मिक अनुभूति है। लेटे हनुमान मंदिर से गुजरते हुए श्रद्धालु मानो स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर रहे हों। अक्षय वट का आशीर्वाद संगम की पवित्रता में रच-बस रहा है। यह आयोजन सनातन के उस सत्य को दोहराता है, जो केवल जोड़ने का काम करता है।  

आस्था का महासागर: जाति-धर्म से परे एकता

कोहरे की बूंदों को अमृत समझने वाले श्रद्धालु, संगम में डुबकी लगाते समय यह नहीं देखते कि उनके पास कौन खड़ा है। यहां केवल एक भाव है—आस्था और समर्पण। यह भारत की विश्व गुरु बनने की सोच का प्रतीक है।  

सनातन के विविध रंग: अनोखे संत और साधु

सुबह-सुबह, नियत समय पर शाही स्नान के लिए साधु-संतों का अनोखा समूह संगम तट की ओर बढ़ता है। हठयोगी, बालयोगी, नागा साधु, अघोरी, महिला संत, शंकराचार्य और महामंडलेश्वर, सब अपनी अलौकिक छवि में दिखाई देते हैं। आग से खेलते रहस्यमयी संत, आधुनिकता से मेल खाते महंत, और भक्ति में लीन श्रद्धालु, सब एक स्वर में “हर-हर महादेव”*का उद्घोष करते हैं।  

संगम की रज: पुण्य की अनुभूति

पांटून पुलों से गुजरते श्रद्धालु बालू को माथे पर लगाकर इसे अमृत समान मानते हैं। श्रद्धालु इसे जीवन का सबसे पवित्र अनुभव मानते हुए अपने परिवार के साथ संगम की ओर बढ़ते हैं। यह केवल धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की मुक्ति का मार्ग है।  

महाकुंभ: आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र

44 घाटों, 30 पांटून पुलों और 23 सेक्टरों में फैला यह मेला हर कदम पर अध्यात्म की ऊर्जा से भरा है। यहां द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, गंगा आरती, और संतों के प्रवचन श्रद्धालुओं को एक अद्भुत अनुभव देते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन ने इस आयोजन को और अधिक भव्य बना दिया है।  

सेवा, समर्पण और संतोष

हर ओर सेवा और समर्पण का माहौल है। अन्नपूर्णा रसोई और दानवीरों के प्रयासों से हर कोई तृप्त है। कहीं सिंदूर, रुद्राक्ष और चंदन बेचने वाले अपनी आजीविका कमा रहे हैं, तो कहीं श्रद्धालु संगम का जल भरने के लिए डिब्बे खरीद रहे हैं। 

दिन और रात का भेद मिटाता महाकुंभ

महाकुंभ में रात और दिन का कोई भेद नहीं। टिमटिमाते बल्बों के नीचे साधना और भक्ति के स्वर गूंजते रहते हैं। यह आयोजन करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, विश्वास, और सनातन के जयघोष का उत्सव है।  

नागा बाबाओं का रहस्यलोक


सिर से पैर तक सर्पों का श्रृंगार, मुंडमाल, और अलौकिक चमत्कार करने वाले नागा बाबा श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनके करतब और स्वांग अद्भुत हैं। यह संसार रहस्यमय होते हुए भी आत्मा को मोह लेने वाला है।  

सनातन का जयघोष: विश्व को संदेश

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन की शक्ति और एकता का प्रतीक है। यह आयोजन सत्य, प्रेम और करुणा का संदेश लेकर पूरे विश्व को एकता का मार्ग दिखा रहा है। महाकुंभ का हर पल अध्यात्म और सनातन की अखंडता का जयघोष करता है। 

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