महाकुंभ 2025: संगम तट की झलकियां

1. संगम पर आस्था का सैलाब

   - शाही स्नान के चार दिन बाद भी 44 घाटों पर करोड़ों श्रद्धालु जुटे।  

   - जाति, धर्म, मत, पंथ से परे संगम का संदेश: "न बंटेंगे, न बांटेंगे।"  

2. मुक्ति की ओर बढ़ते कदम


  - लेटे हनुमान मंदिर से संगम तट तक श्रद्धालुओं का अनवरत आना।  

   - अक्षयवट और संगम के रेतीले तट पर मुक्ति की अनुभूति।  

3. सनातन का अमृतकाल

   - कोहरे की बूंदों को अमृत मानकर आत्मसात करते श्रद्धालु।  

   - "विश्व गुरु" की संकल्पना के साथ एकता का संदेश।  

4. अनोखे साधु-संतों का जमावड़ा 


 - नागा साधु, अघोरी, बालयोगी, बवंडर बाबा और महिला नागा साधुओं का अनूठा संगम।  

   - पांटून पुलों पर साधु-संतों का रहस्यमयी संसार।  

5. धर्म और अध्यात्म की बस्ती 


- महामंडलेश्वर, शंकराचार्य और संतों की बसावट से स्वर्ग जैसी अनुभूति।  

   - गंगा-यमुना-सरस्वती की आरती और द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर विदेशी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र। 

 6. सेवा और श्रद्धा का संगम 

   - अन्नपूर्णा रसोई और सेवादारों की सतत सेवा।  

   - सिंदूर, रुद्राक्ष और पूजन सामग्री बेचने वालों को मिला रोजगार।  

7. रात और दिन का अभेद 

   - बल्बों की रोशनी में रात-दिन का भेद मिटा।  

   - 45 दिनों तक चलने वाला भक्ति और आस्था का उत्सव।  

.द्भुत साधु, चमत्कारी प्रदर्शन

   - सर्पों के श्रृंगार, आग निकालते साधु और श्मशान की होली का आयोजन।  

   - ट्रैक्टर-ट्रालियों पर सजे रथ, अखाड़े और साधुओं के अद्भुत करतब।  

महाकुंभ 2025 का हर क्षण सनातन धर्म की अखंडता और आस्था का पर्व बनकर विश्व को एकता का संदेश दे रहा है।

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