महाकुंभ 2025 : अमृत स्नान में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

प्रयागराज से आबिद हुसैन की ख़ास रिपोर्ट

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का भव्य आगाज हो चुका है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा के संतों ने सबसे पहले निर्धारित समय पर त्रिवेणी संगम पहुंचकर अमृत स्नान किया। यह पवित्र स्नान मंगलवार सुबह 6:15 बजे से शुरू हुआ और शाम 5:00 बजे तक अखाड़ों के साधु-संतों का स्नान चलता रहा।  

शाही स्नान का अद्भुत नजारा

गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर नागा साधुओं और अन्य अखाड़ों के साधु-संतों ने अमृत स्नान (शाही स्नान) किया। इसके बाद लाखों श्रद्धालु संगम में पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही प्रयागराज में महाकुंभ का यह महापर्व आरंभ हो गया, जो श्रद्धा, विश्वास और भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है।  

कड़ाके की ठंड में भी आस्था का जोश  

संगम तट पर पारा 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे होने के बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। आधी रात से ही संगम और अन्य घाटों पर स्नान और पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू हो गया था। घाटों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लोग पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। अनुमान है कि आज करीब  2.5  करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।  

महाकुंभ का पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व 

महाकुंभ के आयोजन का सटीक आरंभकाल प्राचीन शास्त्रों में स्पष्ट रूप से नहीं मिलता, लेकिन इसका उल्लेख  स्कंद पुराण में किया गया है। इसके अनुसार, बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने और सूर्य एवं चंद्रमा के मकर राशि में आने पर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर कुंभ का आयोजन होता है। यह ग्रहों की विशेष स्थिति का प्रतीक है।  

महाकुंभ का पहला दिन बना ऐतिहासिक

महाकुंभ 2025 के पहले दिन संगम तट पर नागा संन्यासियों, महामंडलेश्वरों और साधु-संतों के साथ आम श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाकर आयोजन का शुभारंभ किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रयागराज में चारों ओर आस्था, संस्कृति और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला।  

महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का गौरवपूर्ण परिचय भी देता है। 

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