विनोद kumar झा
राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2008 में स्थापित यह दिवस बालिकाओं को सशक्त बनाने और उनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य बेटियों को शिक्षा, सुरक्षा और समानता का अधिकार दिलाना है, ताकि वे समाज में अपने अधिकारों और कर्तव्यों का पालन कर सकें।
भारतीय समाज में लड़कियों को आने वाली चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। हमारे देश में जहां लैंगिक असमानता, शिक्षा तक सीमित पहुंच, उच्च ड्रॉपआउट दर, बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा जैसी समस्याएं बनी हुई हैं, ऐसे में राष्ट्रीय बालिका दिवस की महत्ता और बढ़ जाती है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को उजागर करना है और भेदभाव से निपटने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाना है।
यह दिन लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा, और समग्र कल्याण के उनके अधिकारों की वकालत करता है, साथ ही एक समावेशी और न्यायसंगत समाज की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास करता है, जिसमें हर बालिका को पोषण और समर्थन मिल सके।
राष्ट्रीय बालिका दिवस, समाज को बाल विवाह जैसी बुरी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए प्रेरित करता है, और यह सुनिश्चित करता है कि लड़कियों को एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक समर्थन मिले। इसका उद्देश्य यह है कि हर लड़की को एक सशक्त, आत्मनिर्भर और निपुण महिला बनने के समान अवसर मिलें।
राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 की थीम: 'बेहतर भविष्य के लिए लड़कियों को प्रेरित करना' : इस वर्ष की थीम में यह बात महत्वपूर्ण है कि लड़कियों को सशक्त बनाने और उन्हें समान अवसर प्रदान करने की जरूरत है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उनके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में सफलता पाने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। जब लड़कियों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा प्राप्त होती है, तो वे नए कौशल सीखती हैं, उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और अपने सपनों को पूरा करने की उनकी क्षमता मजबूत होती है।
भारत में बालिकाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई कानूनी उपायों की शुरुआत की गई है। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत बाल विवाह को रोकने के लिए कठोर दंड की व्यवस्था की गई है।पॉक्सो अधिनियम, 2012 बालकों के यौन शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। मिशन वात्सल्य, चाइल्ड हेल्पलाइन और ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसे कार्यक्रमों से बच्चों की सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।
बेटी बोझ नहीं लक्ष्मी है, करो सम्मान
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना: कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए सहारा प्रदान करती है, जबकि एनआईएमएचएएनएस और ई-संपर्क कार्यक्रमों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल भी उपलब्ध कराई जाती है। कुल मिलाकर, ये सभी प्रयास एक साथ मिलकर भारत में लड़कियों के अधिकारों और कल्याण पर जोर देते हुए एक सुरक्षित और समावेशी वातावरण को बढ़ावा देते हैं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर यह प्रेरणादायक संदेश हमें यह याद दिलाते हैं कि बेटियां हमारी शक्ति हैं, और उन्हें हर क्षेत्र में समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकें। राष्ट्रीय बालिका दिवस की सभी को शुभकामनाएं!