विनोद kumar झा
"अधर्म का विनाश समय आने पर अवश्य होता है। रामायण की यह गाथा केवल धर्म की विजय नहीं, बल्कि सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।
"त्रेतायुग की गाथा में रावण का नाम केवल उसकी शक्ति और लंका के साम्राज्य के लिए ही नहीं, बल्कि उसके अधर्म और छल-कपट के लिए भी जाना जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं, रावण के विनाश की कहानी का आरंभ उसकी ही एक कुटिल चाल से हुआ था?"
"यह कहानी है वैजयंतपुर की महारानी माया की, जो रावण की वासना और छल का शिकार हुईं। माया, शंभर राजा की पत्नी और रावण की पत्नी मंदोदरी की बड़ी बहन थीं। एक दिन रावण ने वैजयंतपुर जाकर माया को अपने शब्दजाल में फंसाने का प्रयास किया।"
"लेकिन रावण की इस कुटिल चाल का भेद खुल गया। शंभर ने रावण को बंदी बना लिया। परंतु कहानी यहीं नहीं रुकी। नियति ने ऐसा मोड़ लिया कि शंभर पर अयोध्या के राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया।" इस युद्ध में शंभर वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी मृत्यु से दुखी माया ने सती होने का निर्णय लिया, परंतु रावण ने उन्हें रोकने और अपने साथ चलने का आग्रह किया।" रावण ने कहा,माया, तुम्हारी सुंदरता और बुद्धिमत्ता की चर्चा लंका तक है। क्या यह उचित नहीं कि तुम मेरे साथ लंका चलो?"
यह कहानी दो राजाओं की यह भिड़ंत, शंभर के पतन का कारण बनी। परंतु यह सिर्फ एक युद्ध नहीं था, बल्कि माया के श्राप की शुरुआत थी।" माया ने कहा,"रावण! तुम्हारे अधर्म और वासनायुक्त कर्मों ने मेरे पति की जान ली। जान लो, तुम्हारे पाप तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेंगे। यह श्राप तुम्हारे अंत की शुरुआत है।"
"माया का श्राप, रावण के विनाश की नींव बन चुका था। यह घटना केवल एक महिला की व्यथा नहीं, बल्कि अधर्म के विरुद्ध उसके प्रतिशोध की गाथा है।" "रावण के पाप, माया का श्राप। क्या यह उसकी मृत्यु का पूर्व संकेत था?"
रामायण में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम की दिव्य गाथा है, लेकिन इस कथा में रावण का उल्लेख न हो तो यह अधूरी लगती है। रावण, जिसने सीता का अपहरण किया था, श्रीराम के साथ हुए युद्ध में अंततः पराजित हुआ। रावण के अंत के साथ ही रामायण का महाकाव्य पूर्ण होता है। हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण का अंत केवल सीता के अपहरण की वजह से नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे कई श्राप भी थे।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रघुवंश के एक प्रतापी राजा अनरण्य का रावण से भयंकर युद्ध हुआ था। रावण विश्व विजय के अभियान पर था और राजा अनरण्य उसका सामना कर रहे थे। युद्ध में राजा अनरण्य वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया, "मेरे ही वंश में जन्म लेने वाला एक युवक तुम्हारे अंत का कारण बनेगा।"
कालांतर में, राजा अनरण्य के वंश में भगवान श्रीराम ने जन्म लिया। श्रीराम ने न केवल रावण को पराजित किया बल्कि उसके अहंकार और अधर्म का भी अंत किया।