"कण-कण में भगवान" को साकार करता संगम

विनोद कुमार झा

संगम स्नान का विचार मात्र ही मनुष्य के भीतर आध्यात्मिकता की लहर पैदा कर देता है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित संगम, गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के पवित्र संगम का स्थान है। इसे हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल माना गया है। यहां महाकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और आत्मा की शुद्धि प्राप्त करते हैं।  

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, संगम वह स्थान है, जहां ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद पहला यज्ञ किया था। इस स्थान को "तीर्थराज" कहा जाता है। मान्यता है कि संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है। महाकुंभ और अर्धकुंभ जैसे आयोजन संगम के महत्व को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। इन आयोजनों में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम तट पर एकत्र होते हैं और अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं।  

महाकुंभ का उत्सव : महाकुंभ संगम का सबसे प्रमुख आयोजन है, जो हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महाकुंभ के दौरान संगम तट पर साधु-संतों और नागा साधुओं का भव्य शाही स्नान होता है। यह आयोजन पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और धर्म की दिव्यता का प्रतीक है।  

संगम तक पहुंचने की आसान व्यवस्था : सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम तक पहुंचने के हर संभव साधन को सुगम और सुरक्षित बनाया है।  

रेल मार्ग: प्रयागराज देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। कुंभ जैसे आयोजनों के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की जाती है।  

सड़क मार्ग: राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से संगम तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।  

हवाई मार्ग : प्रयागराज का बम्हरौली एयरपोर्ट देश के विभिन्न हिस्सों से हवाई संपर्क में है।  संगम क्षेत्र में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है। पुलिस, एनडीआरएफ, और स्वयंसेवक भीड़ नियंत्रण और सुविधा प्रदान करने में मदद करते हैं।  

" हिंदू धर्म में "कण-कण में भगवान" की अवधारणा को संगम तट पर जीवंत रूप में महसूस किया जा सकता है। यहां हर श्रद्धालु को ऐसा अनुभव होता है जैसे यह पवित्र स्थल दिव्यता से भरा हुआ है। साधु-संतों की उपस्थिति और उनकी धार्मिक परंपराएं संगम को और भी अधिक पवित्र बना देती हैं।  

33 कोटी देवी-देवताओं का सजीव दर्शन : हिंदू धर्म में 33 कोटी देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है। संगम तट पर साधु-संतों और श्रद्धालुओं के रूप में यह अनुभव होता है कि ये सभी देवी-देवता सजीव रूप में उपस्थित हैं। नागा साधु, वैष्णव संत, और अन्य धार्मिक समुदाय संगम की धार्मिकता और आध्यात्मिकता को एक नया आयाम देते हैं।  

प्राकृतिक सुंदरता और आधुनिकता का मेल : संगम तट पर प्राकृतिक सौंदर्य और आधुनिक सुविधाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।  

प्राकृतिक सौंदर्य : तीन नदियों का संगम और उनकी अलग-अलग धाराएं प्रकृति की अनुपम भेंट हैं। बालू की रेत और संगम की लहरें मन को शांति प्रदान करती हैं।  

आधुनिक सुविधाएं : पीपा पुल, भव्य तंबू, शौचालय, और सजावट जैसी आधुनिक सुविधाएं श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध हैं। साधु-संत अब फोर-व्हीलर और अन्य आधुनिक वाहनों का उपयोग करते हैं।  संगम स्नान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और मन की शांति प्राप्त करने का माध्यम है। मान्यता है कि संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।

परिवार के साथ करें संगम यात्रा :  संगम स्नान का अनुभव न केवल व्यक्तिगत बल्कि पारिवारिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। परिवार के साथ संगम तट पर आना, यहां स्नान करना और साधु-संतों के प्रवचन सुनना न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि आपसी रिश्तों को भी मजबूत करता है।  संगम तट, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का पवित्र संगम होता है, धर्म, आस्था और प्रकृति का अद्वितीय केंद्र है। यह स्थान आत्मा को शुद्ध करता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है। अगर आप अपने जीवन में शांति, आस्था और मोक्ष की खोज में हैं, तो संगम स्नान अवश्य करें।  

जय श्री राम! हर हर गंगे!

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