विनोद kumar झा
हर हर महादेव! आप देख रहे हैं हमारी विशेष प्रस्तुति जिसमें भगवान शिव ने रावण के घमंड और अहंकार की कहानी बता रहा हूं । आइए जानते हैं... पौराणिक कथाओं में रावण का नाम अद्वितीय बलशाली और ज्ञानी राजा के रूप में लिया जाता है। लेकिन जब घमंड और अहंकार किसी के सिर चढ़ जाता है, तो वह व्यक्ति सही-गलत का भेद भूल जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ लंकापति रावण के साथ। एक समय ऐसा आया जब अपने बल और शक्ति के घमंड में डूबे रावण ने स्वयं भगवान शिव से युद्ध करने का दुस्साहस कर लिया।
रावण भगवान शिव का परम भक्त था और उसने कठोर तपस्या से अनेक वरदान प्राप्त किए थे। लेकिन उसके अहंकार ने उसे इस कदर अंधा कर दिया कि उसने सोचा कि वह स्वयं भगवान शिव से भी श्रेष्ठ है। इसी अहंकार के चलते वह कैलाश पर्वत पर पहुंचा और भगवान शिव को युद्ध के लिए ललकारने लगा।
भगवान शिव उस समय ध्यान मग्न थे और रावण की ललकार का कोई उत्तर नहीं दिया। यह देख रावण क्रोधित हो गया और उसने भगवान शिव की परीक्षा लेने की ठानी। उसने कैलाश पर्वत को उठाकर फेंकने का प्रयास किया।
रावण अपनी पूरी शक्ति लगाकर पर्वत को उखाड़ने लगा। लेकिन भगवान शिव ने केवल अपने पैर के अंगूठे से कैलाश को स्थिर कर दिया। रावण की शक्ति पर्वत के भार के आगे फीकी पड़ गई, और उसका हाथ कैलाश पर्वत के नीचे दब गया। यह घटना रावण के लिए बेहद कष्टकारी थी।
कैलाश पर्वत के नीचे दबा रावण दर्द से कराहने लगा। उसने अपनी पूरी शक्ति लगाई लेकिन पर्वत से अपना हाथ निकालने में असफल रहा। तब उसे अपने अहंकार का भान हुआ। अपनी मुक्ति के लिए उसने भगवान शिव की स्तुति करनी शुरू की। इसी समय उसने दिव्य और प्रख्यात **'शिव तांडव स्तोत्र'** की रचना की।
रावण की भक्ति और स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मुक्त कर दिया। शिव ने न केवल रावण को क्षमा किया बल्कि उसे वरदान भी दिया। रावण ने अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी और भगवान शिव के चरणों में शरण ली।
इस घटना के बाद रावण के जीवन में भगवान शिव की भक्ति और गहरी हो गई। उसने अपने अहंकार को त्याग कर भगवान शिव को सर्वोपरि माना। भगवान शिव ने उसे आशीर्वाद दिया और उसे त्रैलोक्य में अपराजेय बना दिया।
यह कथा केवल एक पौराणिक कहानी नहीं है बल्कि हमें यह सिखाती है कि घमंड और अहंकार कभी किसी का भला नहीं करते। ईश्वर की शरण में जाने और सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना का प्रभाव कितना बड़ा हो सकता है, यह इस कथा से स्पष्ट होता है।
आप इस तरह की अद्भुत पौराणिक कहानियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के गहन रहस्यों को समझ सकते हैं। ऐसी कहानियां हमें अपने जीवन में विनम्रता, भक्ति और संयम का महत्व सिखाती हैं।