आस्था, अध्यात्म और सनातन के विविध रंगों को विखेरता संगम तट

विनोद kumar झा

प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर इन दिनों आस्था और अध्यात्म की अद्भुत छटा बिखरी हुई है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के इस संगम पर आयोजित महाकुंभ मेले में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यह आयोजन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, परंपरा और समरसता का प्रतीक है।  

त्रिवेणी संगम का वर्णन वेदों, पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से मिलता है। मान्यता है कि संगम पर स्नान करने से मनुष्य जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पा सकता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि संगम तट पर स्नान करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। इसे तीर्थराज की उपाधि दी गई है, क्योंकि यहां से सभी तीर्थों का जन्म हुआ माना जाता है।  

संगम में स्नान के अलावा यहां श्रद्धालु अपने दिवंगत परिजनों की अस्थियां और भस्म गंगा में विसर्जित करते हैं, ताकि उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष मिले।  

महाकुंभ केवल नदियों के संगम का स्थल नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के संगम का भी प्रतीक है। यह पर्व छुआछूत, साम्प्रदायिकता और भेदभाव से परे सहिष्णुता और समानता का संदेश देता है।  

इस मेले में देश के सभी प्रमुख अखाड़े अपनी शिष्य मंडलियों के साथ भाग लेते हैं। नागा साधुओं के करतब और साधना श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। महंतों और संतों द्वारा दिए गए प्रवचन श्रद्धालुओं को जीवन की गूढ़ आध्यात्मिकता समझाने में मदद करते हैं।  

त्रिवेणी संगम पर सनातन धर्म के विविध रंग नजर आते हैं। अखाड़ों के संत और महंत वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत और पुराणों के आख्यान सुनाकर धर्म और संस्कृति का प्रचार करते हैं। यहां गूंजते "हर-हर महादेव" और "जय गंगा मैया" के जयघोष श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत करते हैं।  

नागा बाबाओं की साधना, त्याग और तपस्या श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण है। उनके अद्भुत करतब और अलौकिक स्वांग इस पर्व को और भी रोचक बना देते हैं।  

त्रिवेणी संगम का विशेष महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। यह आयोजन विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और रीतिरिवाजों का संगम है। देश-विदेश से आए श्रद्धालु यहां सनातन धर्म की समृद्ध परंपरा का अनुभव करते हैं।  

यहां अक्षयवट और पातालपुरी मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थल भी हैं, जिनका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और चीनी यात्री ह्वेनसांग के विवरणों में मिलता है।  

महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया है। रेलवे स्टेशन और बस स्टेशनों पर हेल्प डेस्क, विश्रामालय और प्रसाधन केंद्र बनाए गए हैं। स्वच्छता और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। स्टेशन परिसर को भक्तिमय माहौल में बदल दिया गया है।  

महाकुंभ का यह आयोजन केवल धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। यहां गंगा-यमुना के पवित्र जल में स्नान कर श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाते हैं।

महाकुंभ में उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ इस बात का प्रमाण है कि सनातन धर्म का प्रकाश आज भी सभी को मार्गदर्शन दे रहा है। संगम तट पर आयोजित यह महापर्व आस्था, भक्ति और समर्पण का जीवंत उदाहरण है।  

हर-हर महादेव! हर-हर गंगे!


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