विनोद kumar झा
"नमस्कार! आप देख रहे हैं हमारी विशेष प्रस्तुति। आज हम बात करेंगे भगवान राम और किष्किंधा के राजा सुग्रीव के बीच हुई मित्रता और उस घटना की, जब भगवान राम ने लक्ष्मण को सुग्रीव के पास किष्किंधा भेजा। यह कथा रामायण के उस महत्वपूर्ण क्षण की है, जिसने सीता माता की खोज और रावण पर विजय की नींव रखी।"
"माता सीता की खोज में भगवान श्रीराम ने सुग्रीव से मित्रता की थी। सुग्रीव ने वचन दिया था कि वह अपनी वानर सेना को माता सीता की खोज में भेजेंगे। लेकिन जब सुग्रीव अपनी गद्दी और राजसुख में लीन हो गए और वचन निभाने में देरी करने लगे, तो भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को किष्किंधा भेजने का फैसला किया।"
"लक्ष्मण जी अपने स्वभाव के अनुसार काफी क्रोधित थे। जब वह किष्किंधा पहुंचे, तो उनके क्रोध से पूरी सभा में खलबली मच गई। लेकिन सुग्रीव के मंत्री और भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी ने स्थिति संभाल ली। उन्होंने सुग्रीव को भगवान राम के वचन की याद दिलाई। सुग्रीव को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने तुरंत वानर सेना को माता सीता की खोज में भेज दिया।
भगवान श्रीराम ने अपने अनुज लक्ष्मण को किष्किंधा इसलिए भेजा था क्योंकि वह अपनी पत्नी माता सीता की खोज में सुग्रीव का सहयोग चाहते थे। सुग्रीव वानरराज थे, और उनके पास वानरों की विशाल सेना थी, जो सीता माता को ढूंढने और रावण के विरुद्ध युद्ध करने में सहायता कर सकती थी। किष्किंधा सुग्रीव का राज्य था, और भगवान राम का विश्वास था कि सुग्रीव उनकी सहायता करेंगे।
हालाँकि, सुग्रीव से मित्रता स्थापित करने के बाद कुछ समय बीत गया, और सुग्रीव अपने वचन को निभाने में देरी कर रहे थे। उन्होंने सीता माता की खोज के लिए वानर सेना को भेजने का कार्य शुरू नहीं किया। सुग्रीव अपनी गद्दी पर आराम और आनंद में मग्न हो गए थे, जिससे श्रीराम निराश हुए। ऐसे में, राम ने लक्ष्मण को किष्किंधा भेजने का निर्णय लिया। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सीता माता की खोज शीघ्र शुरू हो।"
लक्ष्मण को किष्किंधा भेजने का उद्देश्य था कि वे सुग्रीव को उनकी प्रतिज्ञा की याद दिलाएँ और उन्हें उनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करें। भगवान राम ने अपने धैर्य और विनम्रता से काम लिया, लेकिन लक्ष्मण का स्वभाव थोड़ा उग्र था। जब लक्ष्मण किष्किंधा पहुँचे, तो उनका क्रोध देखकर सुग्रीव के मंत्री हनुमान जी ने स्थिति को संभालते हुए सुग्रीव को समझाया। सुग्रीव को अपनी गलती का एहसास हुआ, और उन्होंने तुरंत वानर सेना को माता सीता की खोज में जुटा दिया।
"ऐसे और भी ऐतिहासिक और धार्मिक प्रसंगों की जानकारी के लिए देखते रहिए हमारी विशेष प्रस्तुति। धन्यवाद!"