रावण को सीता अपहरण का पहला सुझाव किसने दिया ?

विनोद kumar झा

जय श्रीराम! आप पढ़ रहे हैं हमारी विशेष प्रस्तुति जिसमें रावण को माता सीता की अपहरण का पहला सुझाव किसने दी आइए जानते हैं इस अनसुनी कहानी के बारे में । रामायण में सीता हरण का प्रसंग बहुत महत्वपूर्ण है। सामान्यतः यह माना जाता है कि रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया था। लेकिन वाल्मीकि रामायण के अरण्यकांड के 31वें सर्ग में इस घटना का विस्तार कुछ और ही संकेत देता है।  खर-दूषण के वध की सूचना : जब श्रीराम ने खर-दूषण और उनकी सेना (14,000 राक्षसों) का वध किया, तो सबसे पहले यह सूचना  शूर्पणखा नहीं, बल्कि एक राक्षस अकम्पन्न ने रावण को दी। अकम्पन्न ने लंका पहुंचकर रावण को बताया कि दशरथपुत्र राम ने जनस्थान का विनाश कर दिया है। यह सुनकर रावण क्रोधित हो उठा और राम के साहस के बारे में विस्तार से पूछने लगा।  

अकम्पन्न ने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी के पराक्रम का वर्णन करते हुए कहा,"हे राक्षसराज! श्रीराम केवल मनुष्य नहीं हैं, वे अतुलनीय वीरता के धनी हैं। उनकी शक्ति इतनी अपार है कि उनके सामने तीनों लोक भी टिक नहीं सकते।"  

सीता हरण का विचार : जब रावण ने राम से प्रत्यक्ष युद्ध करने की बात कही, तो अकम्पन्न ने उसे समझाया कि यह असंभव है। उसने कहा, "प्रभु श्रीराम से युद्ध करना किसी के लिए भी विनाशकारी होगा। परंतु, श्रीराम का एक कमजोर पक्ष है—उनकी पत्नी सीता। वह संसार की अनुपम सुंदरी हैं। यदि तुम सीता का हरण कर लो, तो राम के लिए यह असहनीय होगा और वे दुख में अपने प्राण त्याग देंगे।"  

अकम्पन्न के सुझाव पर विचार कर रावण ने सीता हरण की योजना बनाई और  मारीच के पास सहायता मांगने पहुंचा।  मारीच ने रावण को समझाने का प्रयास किया और कहा कि  "हे रावण! जिसने भी तुम्हें यह सलाह दी है, वह तुम्हारा शत्रु है। राम से टकराने का अर्थ है समूचे राक्षस कुल का विनाश। तुम्हें सीता हरण का विचार त्याग देना चाहिए।"  मारीच के तर्क सुनकर रावण ने पहले यह योजना स्थगित कर दी और लंका लौट गया।  

शूर्पणखा का हस्तक्षेप : बाद में, जब शूर्पणखा लंका पहुंची, तो उसने भी रावण को सीता हरण की सलाह दी। इस बार, रावण ने दृढ़ निश्चय कर मारीच को पुनः सहायता के लिए विवश किया। मारीच ने राम को सोने के मृग के रूप में छलते हुए रावण की योजना को सफल बनाया, और रावण ने माता सीता का हरण किया।  

महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार है :-

1. शूर्पणखा नहीं, अकम्पन्न ने सबसे पहले सीता हरण की सलाह दी थी। 

2. रावण समुद्र पार पुष्पक विमान से नहीं, बल्कि गधों से जुड़े एक दिव्य रथ पर सवार होकर मारीच के पास गया था।  

3. मारीच ने रावण को सीता हरण से रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन शूर्पणखा और रावण की जिद ने इस त्रासदी को अंजाम दिया।  

इस प्रकार, रावण के सीता हरण के पीछे व्यक्तिगत प्रतिशोध और रणनीति, दोनों ही जुड़े हुए थे। लेकिन यह घटना रावण के पतन का मुख्य कारण बनी।  

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