विनोद kumar झा
नमस्कार! आप देख रहे हैं हमारी विशेष प्रस्तुति। आज हम बात करेंगे हनुमान जी और शनिदेव के वचनों के बारे में जो इस प्रकार है। यह कथा हमारे धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं में वर्णित एक अद्भुत और प्रेरणादायक प्रसंग है, जिसमें हनुमानजी और शनिदेव के बीच का संबंध और उनकी लीला का वर्णन किया गया है। जो इस प्रकार है :- एक समय ऐसा आया जब शनिदेव का प्रकोप अत्यधिक बढ़ गया। उनकी तिरछी दृष्टि ने राजा से लेकर प्रजा तक सभी को कष्ट में डाल दिया। लोग परेशान होकर अपनी मुक्ति के लिए समाधान खोजने लगे। लोग रोते हुए, हनुमानजी से कहा हे रामभक्त हनुमानजी हमारी रक्षा कीजिए। शनिदेव के प्रकोप से हमें बचाइए।
अपने भक्तों की पुकार सुनकर बजरंग बली को क्रोध आ गया। वे शनिदेव के इस अन्याय को समाप्त करने के लिए तैयार हो गए और हनुमानजी ने कहा हे शनिदेव! तुम्हारा यह प्रकोप अब और नहीं सहा जाएगा। मैं स्वयं इसका अंत करूंगा।"
जब यह बात शनिदेव को पता चला कि हनुमानजी उन पर क्रोधित हैं और उनकी ओर आ रहे हैं, तो वे भयभीत हो गए। हनुमानजी के प्रकोप से बचने के लिए शनिदेव ने स्त्री का रूप धारण कर लिया। वे जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते। हे प्रभु! कृपया मेरे अपराधों को क्षमा कर दीजिए। मैं आपकी शरण में हूं।
हनुमानजी ने शनिदेव की विनती सुनी और उनके प्रायश्चित को स्वीकार किया। हनुमानजी ने कहा, यदि तुम अपने कार्य में न्याय और संतुलन रखोगे और भक्तों पर अन्याय नहीं करोगे, तो मैं तुम्हें क्षमा करता हूं। आइए जानते हैं विस्तार से....
इस कथा के अनुसार, धार्मिक ग्रंथों और प्राचीन मान्यताओं में वर्णित है, जिसमें हनुमानजी और शनिदेव के बीच की घटना का वर्णन किया गया है। यह प्रसंग न केवल हनुमानजी की भक्ति और शक्ति को उजागर करता है, बल्कि शनिदेव के विनम्र स्वभाव और उनके द्वारा किए गए आत्मसमर्पण का भी परिचय देता है।
कहा जाता है कि एक समय ऐसा आया जब शनिदेव का प्रकोप अत्यधिक बढ़ गया। उनकी वक्री दृष्टि से आम जनता को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा। लोग परेशान होकर समाधान खोजने लगे। शनिदेव की तिरछी दृष्टि से कोई बच नहीं पाता था, और उनकी क्रूर दृष्टि से राजा, प्रजा, पशु, पक्षी, सभी प्रभावित हो रहे थे।
उस समय, भक्तों ने अपने संकट से मुक्ति पाने के लिए भगवान हनुमान की शरण ली। हनुमानजी को अपने भक्तों की पीड़ा सहन नहीं होती, इसलिए उन्होंने शनिदेव के इस अत्याचार को समाप्त करने का निश्चय किया।
हनुमानजी का क्रोध : जैसे ही हनुमानजी को शनिदेव के प्रकोप के बारे में पता चला, वे तुरंत शनिदेव से मिलकर इस समस्या का समाधान करने के लिए तैयार हो गए। हनुमानजी अपनी गदा लेकर शनिदेव की ओर बढ़ने लगे। हनुमानजी का तेज और शक्ति देखकर शनिदेव घबरा गए।
शनिदेव ने धारण किया स्त्री रूप : शनिदेव जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे स्त्रियों का आदर करते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए शनिदेव ने हनुमानजी से बचने के लिए स्त्री का रूप धारण कर लिया। स्त्री रूप में शनिदेव ने हनुमानजी के सामने आकर विनम्रता से क्षमा मांग ली।
हनुमानजी ने शनिदेव की विनती को सुना और उनसे कहा कि यदि वे जनता पर अत्याचार करना बंद कर दें और न्यायपूर्ण तरीके से अपने कार्य करें, तो वे उन्हें क्षमा कर देंगे।
शनिदेव ने दिया हनुमानजी को वचन : इस घटना के बाद, शनिदेव ने हनुमानजी के चरणों में गिरकर वचन दिया कि जो भी सच्चे मन से हनुमानजी की पूजा करेगा, उस पर शनिदेव का प्रकोप नहीं होगा। उन्होंने यह भी प्रतिज्ञा की कि वे अपने कार्यों में संतुलन बनाए रखेंगे और अकारण किसी को कष्ट नहीं देंगे।
जब भी हम सच्चे मन से भगवान की आराधना करते हैं, वे हमारे संकटों को दूर करते हैं। साथ ही, यह कथा यह भी दर्शाती है कि अहंकार और अत्याचार का अंत निश्चित है। हनुमानजी की भक्ति और शनिदेव का आत्मसमर्पण हमें धर्म, शक्ति, और विनम्रता का संदेश देते हैं। इस प्रकार, हनुमानजी और शनिदेव के इस प्रसंग में भक्तों के प्रति भगवान की करुणा और दया का अद्भुत उदाहरण मिलता है।
ऐसे और भी ऐतिहासिक और धार्मिक प्रसंगों की जानकारी के लिए देखते रहिए हमारी विशेष प्रस्तुति। जय हनुमान, जय शनिदेव