प्रभु श्रीराम ने लक्ष्मण को रावण के अंतिम क्षणों में ज्ञान प्राप्त करने क्यों भेजा?

विनोद kumar झा

जय श्री राम! आप देख रहे हैं हमारी विशेष प्रस्तुति, जिसमें हम रामायण में वर्णित उस अद्भुत क्षण का वर्णन करेंगे जब भगवान श्रीराम ने अपने प्रिय भ्राता लक्ष्मण को यह निर्देश दिया कि वे रावण से उनके जीवन के अंतिम क्षणों में ज्ञान प्राप्त करें।

रावण, जो अपने अद्वितीय पराक्रम और असीम शक्तियों के लिए प्रसिद्ध था, केवल एक युद्धकर्ता ही नहीं, बल्कि एक महान विद्वान, ज्योतिष और वेदों का ज्ञाता भी था। उसकी तपस्या और ज्ञान का सम्मान स्वयं देवताओं ने भी किया। उसने अपने ज्ञान के बल पर ग्रहों और नक्षत्रों तक को नियंत्रित किया। परंतु, उसका पतन उसके अहंकार और अधर्म के कारण हुआ।  

आइए, जानते हैं उस दिव्य संवाद की महिमा, जो रावण के जीवन का अंतिम और सबसे शिक्षाप्रद अध्याय बन गया।

जब भगवान राम ने रावण का वध कर दिया और रावण मृत्यु शय्या पर अपने अंतिम क्षण गिन रहा था, तब भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण से कहा कि वे रावण से जीवन का ज्ञान और सीख प्राप्त करें। यह पल केवल युद्ध और विजय का नहीं, बल्कि ज्ञान और विनम्रता का प्रतीक बन गया।  

लक्ष्मण पहले रावण के सिर के पास खड़े हुए, लेकिन रावण मौन रहा। तब भगवान राम ने लक्ष्मण को समझाया कि सच्चा ज्ञान हमेशा विनम्रता और आदर से ही प्राप्त होता है। लक्ष्मण ने रावण के चरणों की ओर जाकर उसे प्रणाम किया, तब रावण ने अपने अनुभवों का निचोड़ साझा किया।  

रावण की अंतिम तीन शिक्षाएं उसके विशाल ज्ञान, जीवन के प्रति गहरी समझ और दूरदर्शिता का प्रतीक हैं। यह घटना हमें सिखाती है कि सच्चा ज्ञान विनम्रता और आदर से ही प्राप्त होता है, चाहे वह किसी शत्रु से ही क्यों न हो। आइए जानते हैं रावण द्वारा लक्ष्मण को दी गई उन अद्भुत सीखों के बारे में, जो आज भी हमारे जीवन को दिशा प्रदान करती हैं।

जय श्री राम, जय श्री राम।

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