Mahakumbh 2025: त्रिवेणी संगम तट पर उमड़ा आस्था का सैलाब , शाम 5:30 बजे तक करीब 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया पहला अमृत स्नान

महाकुंभ क्षेत्र से आबिद हुसैन और इरशाद अहमद की खास रिपोर्ट

प्रयागराज। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर महाकुंभ 2025 में त्रिवेणी संगम के पवित्र तट पर श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। शाम 5:30 बजे तक करीब  3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने पहला अमृत स्नान किया। यह आयोजन न केवल आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता, एकता और समता का अनुपम उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।  

गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए भारतीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, इज़राइल, ईरान, पुर्तगाल जैसे देशों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। विदेशी श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता से अभिभूत होकर अपने परिवारों के साथ इस पवित्र आयोजन में शामिल हुए।  

महाकुंभ में असम की संस्कृति का रंग  

महाकुंभ 2025 में इस बार पूर्वोत्तर भारतीय संस्कृति की अद्भुत झलक देखने को मिली। मकर संक्रांति के अवसर पर असम के प्रसिद्ध पर्व भोगाली बिहू का आयोजन किया गया। असम के संतों और श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ बिहू मनाया। इस दौरान बिहू नृत्य, नाम-कीर्तन और चावल से बने व्यंजनों का वितरण किया गया। असमिया संस्कृति की यह प्रस्तुति महाकुंभ के आयोजन को और भी खास बना गई।  

बिहू नृत्य के दौरान महिला श्रद्धालुओं ने असमिया परिधानों में अपनी लोक संस्कृति की झलक पेश की। उनकी ऊर्जा और उत्साह ने मेले को जीवंत कर दिया।  

सांस्कृतिक विविधता के रंग

महाकुंभ मेला परिसर में केवल भोगाली बिहू ही नहीं, बल्कि विभिन्न राज्यों के पारंपरिक नृत्य और संगीत** कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों ने अपने पारंपरिक प्रदर्शन के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रस्तुत किया।  

महाकुंभ 2025 न केवल आध्यात्मिकता और आस्था का महोत्सव है, बल्कि यह भारत की समृद्ध संस्कृति, विविधता और एकता का जीवंत प्रमाण भी है।

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