प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान बसंत पंचमी के अवसर पर सोमवार को करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इस पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कर माहौल को और भी भक्ति मय बना दिया। पुष्प वर्षा की शुरुआत सुबह 6:30 बजे हुई, जब विभिन्न अखाड़ों के संन्यासियों का अमृत स्नान जारी था। गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश देख संगम तट पर मौजूद नागा संन्यासियों, संतों और श्रद्धालुओं ने 'जय श्री राम' और 'हर हर महादेव' के जयघोष से पूरा क्षेत्र गुंजा दिया।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़, पर मौनी अमावस्या से कम रही संख्या : बसंत पंचमी के दिन स्नान के लिए श्रद्धालुओं की संख्या मौनी अमावस्या की तुलना में कम रही, लेकिन फिर भी आस्था का सैलाब उमड़ा। बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व पर कुल 2 करोड़ 57 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। दोपहर 2 बजे तक ही करीब ढाई करोड़ लोग पवित्र जल में डुबकी लगा चुके थे। त्रिवेणी संगम में विभिन्न अखाड़ों ने भी गाजे-बाजे और भव्य जुलूस के साथ स्नान किया।
महाकुंभ के 22वें दिन यानी 2 फरवरी तक संगम में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 35 करोड़ को पार कर चुकी थी, जबकि 3 फरवरी तक यह आंकड़ा 37 करोड़ से अधिक पहुंच गया। संगम तट पर 10 लाख श्रद्धालु कल्पवास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली व्यवस्थाओं की कमान : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुबह 3:30 बजे से ही अपने सरकारी आवास के वॉर रूम में डेरा डाल दिया था। उन्होंने डीजीपी, प्रमुख सचिव (गृह) और मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ लगातार बसंत पंचमी के अमृत स्नान की स्थिति पर नजर रखी और अपडेट लेते रहे।
पुष्प वर्षा के लिए विशेष तैयारियां : सरकार के निर्देश पर प्रयागराज के उद्यान विभाग ने स्नान पर्वों के दौरान पुष्प वर्षा के लिए विशेष तैयारियां की थीं। 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों का इंतजाम किया गया था, जबकि 5 क्विंटल फूल रिजर्व में रखे गए थे। इससे पहले पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति पर भी श्रद्धालुओं पर गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश की गई थी। मौनी अमावस्या के दूसरे अमृत स्नान पर भी सांकेतिक पुष्प वर्षा कराई गई थी।
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने किया अमृत स्नान : पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भी बसंत पंचमी के अवसर पर त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान किया। उनके शिष्य आचार्य प्रफुल्ल ब्रह्मचारी ने बताया कि यह दिन उनके गुरुदेव के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली थी।
गूंज उठा संगम तट: अमृत स्नान और पुष्प वर्षा के दौरान संगम तट हर हर महादेव', 'जय श्री राम' और 'गंगा मैया की जय' के जयकारों से गूंज उठा। नागा संन्यासी, साधु-संत और श्रद्धालु पुष्प वर्षा से अभिभूत नजर आए। महाकुंभ के आगामी स्नान पर्वों के लिए भी पुष्प वर्षा की तैयारियां जारी हैं। महाकुंभ 2025 के इस भव्य आयोजन ने एक बार फिर भारत की आस्था, संस्कृति और परंपराओं की अद्वितीय झलक प्रस्तुत की है।