विनोद कुमार झा
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 , जो विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक एवं आध्यात्मिक समागम है, बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व के साथ संपन्न हो गया। इस भव्य आयोजन की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को हुई थी और समापन तक इसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
मेला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बुधवार शाम 6 बजे तक 1.44 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में पुण्य स्नान किया। वहीं, 13 जनवरी से लेकर अब तक कुल स्नान करने वालों की संख्या 66.21 करोड़ तक पहुंच गई। यह संख्या इतनी विशाल है कि भारत और चीन को छोड़कर किसी भी अन्य देश की कुल जनसंख्या से अधिक है।
महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मक्का और वेटिकन सिटी जैसे विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर जाने वाले लोगों से भी अधिक रही। यह आंकड़ा अमेरिका, रूस और अधिकांश यूरोपीय देशों की जनसंख्या को भी पार कर चुका है, जिससे इसकी विशालता और महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा, यह मेला स्थानीय व्यापार, पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी अत्यधिक बढ़ावा देता है। होटल, रेस्तरां, परिवहन, हस्तशिल्प और अन्य व्यापारों को इस आयोजन से बड़ा लाभ हुआ।
महाकुंभ 2025 की उपलब्धियां
सर्वाधिक श्रद्धालुओं की भागीदारी: 66 करोड़ से अधिक लोग इस आयोजन का हिस्सा बने।
शानदार प्रबंधन: कुंभ मेले का आयोजन सुव्यवस्थित, सुरक्षित और स्वच्छता युक्त रहा।
वैश्विक आकर्षण: दुनिया भर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने इसमें हिस्सा लिया।
धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उन्नति: महाकुंभ ने आध्यात्म, संस्कृति और सनातन परंपराओं को पुनः जीवंत किया।
महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह आध्यात्मिकता, संस्कृति और सनातन परंपराओं का सबसे बड़ा संगम भी रहा। इस दौरान अखाड़ों, संत-महात्माओं, साधु-संतों और भक्तों ने एक साथ मिलकर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। प्रयागराज का संगम तट इस दौरान आध्यात्मिकता, श्रद्धा और साधना के अद्वितीय संगम का साक्षी बना। देश-विदेश से आए अखाड़ों के साधु-संतों, संन्यासियों, योगियों, तांत्रिकों और लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर मोक्ष की कामना की। यहां के घाटों और शिविरों में दिन-रात धार्मिक अनुष्ठान, प्रवचन, कथा, सत्संग और भजन-कीर्तन की गूंज सुनाई देती रही।
इस ऐतिहासिक आयोजन ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि महाकुंभ केवल एक मेला नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और सनातन संस्कृति का सबसे भव्य उत्सव है, जिसे पूरी दुनिया से लोग देखने और उसमें भाग लेने के लिए आतुर रहते हैं।