विनोद कुमार झा
जय मां शारदे! वसंत पंचमी, जिसे ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती के पूजन का दिन माना जाता है, हिंदू संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और उल्लासपूर्ण पर्व है। यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि हमारे जीवन में ज्ञान, संगीत, कला और संस्कृति के महत्व को रेखांकित करने का प्रतीक है।
कलियुग में भी वसंत पंचमी का महत्व कम नहीं हुआ है। यह पर्व आज भी हमें द्वापर, त्रेता और सतयुग की याद दिलाता है, जब मानव जीवन में ज्ञान, कला और संस्कृति का अत्यधिक महत्व था। हमारे धर्मग्रंथों में मां सरस्वती के विषय में जितना विस्तार से उल्लेख मिलता है, उतना शायद ही किसी अन्य देवी-देवता के बारे में हुआ हो। वेदों से लेकर पुराणों तक, मां सरस्वती को ज्ञान, बुद्धि और वाणी की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन मां सरस्वती के प्रकट होने का प्रतीक है। कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, तो उन्हें लगा कि संसार में कुछ कमी है। तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, और उस जल से एक दिव्य नारी प्रकट हुई, जिनके हाथ में वीणा थी। उन्होंने अपनी वीणा के मधुर स्वर से सृष्टि में संगीत, ज्ञान और वाणी का संचार किया। तभी से मां सरस्वती को 'वीणावादिनी' और 'वाणी की देवी' कहा जाता है।
वसंत पंचमी के साथ ही वसंत ऋतु का आगमन होता है, जिसे 'ऋतुओं का राजा' कहा जाता है। इस मौसम में प्रकृति अपनी सबसे सुंदर छटा बिखेरती है। खेतों में पीली सरसों की फसलें लहलहाने लगती हैं, आम के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं, और प्रकृति में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। पेड़ों पर नए पत्ते और रंग-बिरंगे फूल खिल उठते हैं, जैसे धरती ने एक नया श्रृंगार धारण कर लिया हो। इस प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर हर जीव जंतु, मनुष्य और पक्षी भी आनंदित हो उठते हैं।
वसंत पंचमी के दिन लोग विशेष रूप से पीले वस्त्र पहनते हैं, क्योंकि पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा और उल्लास का प्रतीक माना जाता है। घरों, विद्यालयों और मंदिरों में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजन किया जाता है। विद्यार्थी इस दिन अपनी पुस्तकों, कलम-दवात और वाद्ययंत्रों की पूजा कर मां सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कई जगह इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार लिखना सिखाने की परंपरा भी है, जिसे विद्यारंभ कहा जाता है।
वसंत पंचमी केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि यह ज्ञान, बुद्धि और कला के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रतीक है। इसे श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है।
वसंत पंचमी का पर्व हर किसी के जीवन में नई उमंग और ऊर्जा का संचार करता है। यह दिन हमें न केवल प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने की प्रेरणा देता है, बल्कि हमें आंतरिक रूप से भी समृद्ध बनाता है। मां सरस्वती के आशीर्वाद से हम सभी के जीवन में ज्ञान का प्रकाश हमेशा बना रहे, यही कामना है।
जय मां शारदे!