विनोद कुमार झा
14 फरवरी 2019 का दिन भारतीय इतिहास के उन काले दिनों में से एक है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के लेथपोरा क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने सीआरपीएफ के काफिले पर कायरतापूर्ण हमला किया था। इस भीषण हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। उनका बलिदान न केवल राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक है, बल्कि यह हमें देश की सुरक्षा के प्रति हमारे उत्तरदायित्व की भी याद दिलाता है। केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) देश की सुरक्षा और कश्मीर में शांति एवं विकास सुनिश्चित करने के लिए हर दिन कठिन चुनौतियों का सामना करता है। पुलवामा हमले के बावजूद, सीआरपीएफ और भारतीय सुरक्षाबलों की प्रतिबद्धता डगमगाई नहीं, बल्कि और अधिक सशक्त हुई। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और अधिक तीव्र कर दिया, जिससे राष्ट्र की सुरक्षा को नया आयाम मिला।
पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया। भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला कर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया। इस हमले में 300 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। पुलवामा हमले में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले जवानों का बलिदान हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा। उनकी शहादत देश की सुरक्षा और एकता का प्रतीक बनी रहेगी। हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम राष्ट्र की रक्षा के लिए सदैव सतर्क रहेंगे और देश के वीर सपूतों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। आज, जब हम उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, तो हमें यह भी याद रखना होगा कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक यह संकट पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता। भारत वीर जवानों की शहादत को कभी नहीं भूलेगा, और उनकी स्मृति हमेशा हमारे दिलों में जीवंत रहेगी।