विनोद कुमार झा
शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। यह पर्व उनकी महिमा, तपस्या और भक्तों के प्रति उनकी कृपा को दर्शाता है। हिंदू धर्म में शिवरात्रि का विशेष स्थान है और इसे पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह रात्रि स्वयं भगवान शिव को इतनी प्रिय क्यों है? इस लेख में हम इसी प्रश्न का विस्तार से उत्तर खोजेंगे।
शिवरात्रि का पौराणिक मान्यताएँ
शिवरात्रि के महत्व को समझने के लिए हमें इसकी पौराणिक कथाओं का अध्ययन करना होगा। कई धार्मिक ग्रंथों में इस पर्व के पीछे विभिन्न कथाएँ मिलती हैं। उनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:-
शिव-पार्वती विवाह : एक मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप इस दिन उनका विवाह संपन्न हुआ। इस कारण से, शिवरात्रि को शिव-पार्वती के पावन मिलन के रूप में भी मनाया जाता है, और यह दिन शिव को अत्यंत प्रिय है।
समुद्र मंथन और हलाहल का पान : एक अन्य कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया, तब समुद्र से हलाहल नामक विष निकला। यह विष इतना तीव्र था कि समस्त सृष्टि के विनाश का कारण बन सकता था। भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया और संसार को विनाश से बचा लिया। इस घटना के उपलक्ष्य में ही शिवरात्रि मनाई जाती है, क्योंकि इस रात उन्होंने समस्त जीवों की रक्षा के लिए विष का पान किया था।
ज्योतिर्लिंग का प्राकट्य : एक अन्य मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने स्वयं को एक अनंत ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट किया था। इस दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मा ने उनकी सर्वोच्च शक्ति को स्वीकार किया और उन्हें आदिदेव के रूप में पूजा। इस कारण शिवरात्रि को भगवान शिव का आत्म-प्रकाश दिवस भी कहा जाता है।
शिवरात्रि की रात्रि क्यों प्रिय है शिव को?
भगवान शिव को ध्यान और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। रात्रि का समय शांति, साधना और आत्मनिरीक्षण का समय होता है। शिव हमेशा ध्यानस्थ रहते हैं, और रात्रि का समय उनके लिए आदर्श समय होता है। इसलिए, भक्त इस दिन पूरी रात जागकर भक्ति और साधना करते हैं।
तामसिक प्रवृत्तियों का नाश : रात्रि अंधकार और तामसिक शक्तियों का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन शिव अंधकार को प्रकाश में बदलने वाले देवता हैं। शिवरात्रि की रात को जागरण और भजन-कीर्तन के द्वारा भक्त शिव को प्रसन्न करते हैं और अपनी आत्मा को पवित्र करते हैं।
सृष्टि के कल्याण का संकल्प :शिवरात्रि के दिन भगवान शिव संपूर्ण सृष्टि के कल्याण का संकल्प लेते हैं। वे अपने भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं और उन्हें बुराइयों से मुक्त करने का आशीर्वाद देते हैं।
शिवरात्रि के पूजन का महत्व :भगवान शिव को प्रिय होने के कारण इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है। शिवरात्रि पर शिवलिंग का अभिषेक करना, रुद्राभिषेक करना और ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अभिषेक का महत्व :शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही, और बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। यह प्रक्रिया आत्मशुद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
जागरण और कीर्तन : रात्रि भर शिव भजन और मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि मन की शांति भी प्रदान करता है।
उपवास और ध्यान : शिवरात्रि के दिन उपवास रखने से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। भगवान शिव स्वयं योग और ध्यान के प्रतीक हैं, इसलिए उनकी उपासना का सबसे उत्तम तरीका ध्यान और साधना करना है।
शिवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश : शिवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमें गहरे आध्यात्मिक संदेश भी देता है—
1.धैर्य और तपस्या : माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया। यह हमें सिखाता है कि धैर्य और साधना से हम अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
2. अहंकार का नाश: ब्रह्मा और विष्णु ने अपने अहंकार को त्यागकर शिव के ज्योतिर्लिंग को स्वीकार किया। यह हमें अहंकार छोड़कर सच्ची भक्ति और समर्पण की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
3. शिव ही परम सत्य हैं: शिव अनादि और अनंत हैं। वे न केवल सृजन के देवता हैं, बल्कि संहार के भी अधिपति हैं। उनका ध्यान हमें जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने का मार्ग दिखाता है। भगवान शिव को शिवरात्रि प्रिय होने के पीछे गहरे आध्यात्मिक, पौराणिक और प्राकृतिक कारण हैं। यह दिन न केवल उनका विवाह दिवस है, बल्कि उनके द्वारा सृष्टि की रक्षा करने और भक्तों को मोक्ष प्रदान करने का दिन भी है। शिवरात्रि हमें भक्ति, ध्यान, और आत्मशुद्धि का संदेश देती है। इस पावन अवसर पर यदि हम सच्चे मन से शिव की आराधना करें, तो निश्चित रूप से उनके आशीर्वाद से हमारा जीवन मंगलमय बन सकता है।
**"हर-हर महादेव!"**