विनोद कुमार झा
धर्मग्रंथों एवं पुराणों में आकाशवाणी का अनेक बार उल्लेख मिलता है। आकाशवाणी किसी अदृश्य शक्ति की वह वाणी होती है, जो किसी विशेष घटना की पूर्वसूचना देने या किसी को सचेत करने के लिए होती है। इसका रहस्य अत्यंत गूढ़ है और इसे समझने के लिए हमें सृष्टि के मूल तत्वों की ओर ध्यान देना होगा। यह संसार पंचतत्वों धरती, जल, अग्नि, वायु एवं आकाश से मिलकर बना है। इनमें से आकाश तत्व अत्यंत सूक्ष्म एवं अदृश्य होता है, जो ध्वनि के संचार का माध्यम भी है। जब दिव्य शक्तियाँ किसी व्यक्ति को किसी विशेष बात की सूचना देना चाहती हैं, तो वे आकाश माध्यम से वाणी का संचार करती हैं, जिसे आकाशवाणी कहा जाता है।
अगर गूढ़ अर्थों में देखा जाए, तो आकाशवाणी वास्तव में हमारी आत्मा की चेतना की वह ध्वनि है, जो हमें सत्य का बोध कराती है। जब कोई व्यक्ति अनजाने में या अहंकारवश कोई गलत कार्य करने लगता है, तो अंतरात्मा उसे रोकने का संकेत देती है। इसी को आध्यात्मिक भाषा में आकाशवाणी कहा गया है।
लक्ष्मण को सचेत करने वाली आकाशवाणी : जब श्रीराम वनवास में थे, तब देवी सीता को रावण हरण कर ले गया। सीता की खोज के दौरान, जब लक्ष्मण अत्यंत क्रोध में आकर युद्ध करने जा रहे थे, तब आकाशवाणी हुई थी। हे लक्ष्मण! क्रोध में आकर कोई निर्णय मत लो, यह समय धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेने का है। इस आकाशवाणी को सुनकर लक्ष्मण का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने अपना धनुष नीचे रख दिया। इससे यह सिद्ध होता है कि आकाशवाणी व्यक्ति को सत्य का मार्ग दिखाने का कार्य करती है।
कंस को मृत्यु का संकेत देने वाली आकाशवाणी : कंस ने जब अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से किया, तब आकाशवाणी हुई थी हे कंस! देवकी का आठवां पुत्र ही तेरा वध करेगा। इस भविष्यवाणी ने कंस के भीतर भय उत्पन्न कर दिया और उसने देवकी के सभी संतान को मारने का निश्चय कर लिया। अंततः यह आकाशवाणी सत्य सिद्ध हुई, जब भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर संसार को उसके अत्याचारों से मुक्त किया।
कुंती को पुत्रों के रहस्य का आकाशवाणी : जब पांचों पांडव जन्मे, तो लोगों के मन में संदेह उत्पन्न हुआ कि ये वास्तव में पांडु के पुत्र हैं या नहीं। तब आकाशवाणी हुई, हे कुंती! तुम्हारे पुत्र दिव्य शक्तियों से उत्पन्न हुए हैं, वे धर्म, वायु, इंद्र, अश्विनी कुमारों के वरदान स्वरूप जन्मे हैं। इस आकाशवाणी ने संदेह का निवारण कर दिया और जनता ने पांडवों को देवपुत्र मान लिया।
कलावती को पति दर्शन के लिए आकाशवाणी : सत्यनारायण भगवान व्रत कथा में प्रसाद को ग्रहण करने की आकाशवाणी हुई थी कि प्रसाद ग्रहण करने के बाद पति का दर्शन होगा। आकाशवाणी का उल्लेख केवल पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे आध्यात्मिक चेतना और ईश्वरीय प्रेरणा का भी रूप माना जाता है। जब किसी व्यक्ति के पाप अत्यधिक बढ़ जाते हैं और उसका विनाश निकट होता है, तब आकाशवाणी उसे अंतिम चेतावनी देती है, ताकि वह अपने कर्मों को सुधार सके। आकाशवाणी केवल एक अदृश्य ध्वनि नहीं, बल्कि आत्मा की चेतना, भविष्य की चेतावनी और ईश्वरीय संकेतों का माध्यम है। यह व्यक्ति को उचित मार्गदर्शन देने, पाप से बचाने और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। धर्मग्रंथों में दिए गए आकाशवाणी के उदाहरण यह सिद्ध करते हैं कि जब-जब संसार में अन्याय बढ़ता है, तब-तब परम शक्ति आकाशवाणी के रूप में हमें सचेत करती है।