हिन्दू भावनाओं पर प्रहार या चुनावी रणनीति?

विनोद कुमार झा

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में महाकुंभ 2025 को 'मृत्यु कुंभ' कहकर करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। उनका यह बयान केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का अपमान माना जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने हिंदू परंपराओं और मान्यताओं पर विवादास्पद टिप्पणी की हो। इससे पहले भी रामनवमी जुलूस और अन्य हिंदू त्योहारों को लेकर उनके बयान चर्चा में रहे हैं।

महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो सदियों से सनातन धर्म की आस्था का केंद्र रहा है। यह पर्व हर 12 साल में आयोजित किया जाता है, जहां करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होकर गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं। साधु-संतों और धार्मिक गुरुओं की उपस्थिति इस आयोजन को और अधिक पवित्र बनाती है। इसे 'मृत्यु कुंभ' कहना न केवल हिंदू धर्म का अपमान है, बल्कि उन श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने जैसा है जो इसे पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं।

ममता बनर्जी के इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने उन पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब उन्होंने हिंदू आस्थाओं को लेकर विवादित बयान दिया हो। 2023 में रामनवमी के जुलूस के दौरान भी उन्होंने विवादास्पद टिप्पणी की थी और प्रशासन द्वारा कई स्थानों पर हिंदू जुलूसों को रोका गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि ममता बनर्जी का यह बयान आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है, ताकि वह एक विशेष समुदाय का समर्थन हासिल कर सकें। उनके बयानों से स्पष्ट है कि वह धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही हैं और हिंदुओं की भावनाओं की अनदेखी कर रही हैं।

ममता बनर्जी के इस बयान की व्यापक स्तर पर निंदा हो रही है। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इसे "करोड़ों हिंदुओं का अपमान" बताया, जबकि ब्रजेश पाठक ने इसे "अत्यंत निंदनीय" करार दिया। वहीं, पश्चिम बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष जगन्नाथ सरकार ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश में बदलने की साजिश कर रही हैं। आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद ने भी इस बयान की कड़ी निंदा की है और इसे हिंदू समाज के प्रति दुर्भावनापूर्ण मानसिकता का प्रतीक बताया है। भाजपा नेताओं ने इस बयान को लेकर ममता बनर्जी से सार्वजनिक माफी की मांग की है और इसे चुनावी मुद्दा बनाने का संकेत दिया है।

इस प्रकार के बयान केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं बल्कि चुनावी लाभ के लिए दिए जाते हैं। ऐसे में हिंदू समाज को एकजुट रहकर इस तरह की तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों ने इस बयान का विरोध किया है और जनता से आग्रह किया है कि वे ऐसे नेताओं को चुनावों में जवाब दें।

ममता बनर्जी का 'मृत्यु कुंभ' बयान उनकी राजनीतिक मंशा को उजागर करता है। यह स्पष्ट है कि यह बयान धार्मिक भावनाओं को आहत करने और एक विशेष वर्ग को खुश करने के उद्देश्य से दिया गया है। भारत की संस्कृति और परंपरा पर इस प्रकार के हमले स्वीकार्य नहीं हैं। यह समय है कि देश की जनता ऐसे बयान देने वालों को लोकतांत्रिक तरीके से जवाब दे और सनातन संस्कृति के सम्मान की रक्षा करे।

हर हर गंगे।

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