महाकुंभ में आस्था बनी परेशानी...

विनोद कुमार झा

महाकुंभ, जो आस्था और आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा संगम माना जाता है, आज श्रद्धालुओं के लिए कठिनाइयों का केंद्र बन चुका है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के साथ यहाँ पहुँचते हैं, लेकिन उनकी परीक्षा ट्रैन से उतरते ही शुरू हो जाती है। शहर में पहुंचने के बाद हर ओर अव्यवस्था और लूट-खसोट का आलम देखने को मिलता है।

सफर की पहली चुनौती: यात्रा के नाम पर लूट

कुंभ नगरी पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को सबसे पहले परिवहन की समस्या का सामना करना पड़ता है। ई-रिक्शा, टेम्पो और अन्य परिवहन साधन संगम तक पहुंचाने के नाम पर श्रद्धालुओं से मनमाने पैसे वसूलते हैं, लेकिन उन्हें बीच रास्ते में ही छोड़ दिया जाता है। सरिया-सिमेंट ढोने वाले ठेली वाले भी श्रद्धालुओं को ठगने से पीछे नहीं हटते। मजबूरी में श्रद्धालुओं को लगभग दस किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।

रास्तों की दुर्दशा और पुलिस की मनमानी

शहर के भीतर कोई भी सही जानकारी देने को तैयार नहीं होता। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे शहर में आस्था के नाम पर व्यापार और लूट की मिलीभगत चल रही है। श्रद्धालुओं को सही दिशा-निर्देश नहीं दिए जाते और गलत मार्ग बताकर उनकी समस्या को और बढ़ा दिया जाता है। वहीं, यातायात नियंत्रण के नाम पर पुलिस ने कई रास्तों को डायवर्ट कर दिया है, जिससे श्रद्धालुओं को घंटों तक जाम में फंसना पड़ता है। एक किलोमीटर की दूरी तय करने में दो-दो घंटे लग जाते हैं, जिससे उनकी थकान और परेशानी बढ़ जाती है।

बोट वालों की मनमानी और महंगी सवारी

संगम तट तक पहुँचने के बाद भी श्रद्धालुओं की मुश्किलें खत्म नहीं होतीं। यहाँ नाव वालों द्वारा श्रद्धालुओं से तीन-तीन हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। आस्था की डुबकी लगाने आए श्रद्धालुओं को यह मजबूरी में खर्च करने पड़ रहे हैं। इन ऊंचे दामों के बावजूद भी सुविधाएं अपर्याप्त हैं।

धार्मिक आयोजन में अव्यवस्था क्यों?

महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में इस तरह की अव्यवस्थाएँ आस्था पर चोट करती हैं। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी न हो। परिवहन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाना, पुलिस द्वारा सही मार्गदर्शन देना और बोट संचालकों की मनमानी पर रोक लगाना बेहद आवश्यक है।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं को सुविधा देने के बजाय लूट का शिकार बनाया जा रहा है। महंगे किराए, भ्रामक दिशानिर्देश, यातायात जाम और मनमानी दरों पर बोट सेवाएं आस्था के इस महापर्व को श्रद्धालुओं के लिए एक कठिन परीक्षा बना रही हैं। प्रशासन को तत्काल इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि श्रद्धालु अपने धार्मिक अनुष्ठान को बिना किसी परेशानी के पूर्ण कर सकें।

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