50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, दिव्यता और भव्यता ने किया दुनिया को आकर्षित
विनोद कुमार झा
ज्यों -ज्यों महाकुंभ की समापन तिथि नजदीक आ रहे हैं त्यों त्यों श्रद्धालुओं का संगम तट पर पहुंचने की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत की आध्यात्मिक परंपराओं में सबसे प्रमुख और पवित्र आयोजन महाकुंभ ने इस बार एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं, जिससे यह आयोजन दुनिया का सबसे बड़ा मानव समागम बन गया है। हर बारह वर्ष में आयोजित होने वाला यह कुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और सनातन परंपराओं का अनुपम संगम भी है। इस बार के आयोजन ने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के श्रद्धालुओं को अपनी दिव्यता और भव्यता से आकर्षित किया है। देश-विदेश से आए संतों, योगियों और श्रद्धालुओं ने इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना दिया है।
महाकुंभ का आयोजन चार पवित्र स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से कुछ बूंदें इन स्थानों पर गिरी थीं, जिससे यह स्थल दिव्य और पवित्र बन गए। कुंभ मेले का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति, आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस पावन अवसर पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दुनियाभर से उमड़ रहे हैं श्रद्धालुओं का सैलाब : महाकुंभ में इस बार भारत के विभिन्न राज्यों से लेकर विदेशों तक के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, थाईलैंड और अन्य देशों से भी हजारों श्रद्धालु पहुंचे। यह आयोजन भारतीय संस्कृति की व्यापकता और इसकी आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है। मेले में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों की विशाल पेशवाई ने इसे और अधिक भव्यता प्रदान की। नागा साधुओं का शाही स्नान, भजन-कीर्तन और प्रवचन श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।
आयोजन की सुव्यवस्थित व्यवस्थाएँ : इतने विशाल स्तर के आयोजन के बावजूद, प्रशासन और आयोजन समिति ने यातायात, सुरक्षा, स्वच्छता और आपातकालीन सेवाओं की चाक-चौबंद व्यवस्था की, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर डिजिटल सेवाएं भी उपलब्ध कराई गईं, जिससे संचार और प्रबंधन को आसान बनाया जा सका। लाखों श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था भी की गई, जिससे महाकुंभ एक अनुशासित और सुव्यवस्थित आयोजन के रूप में उभरा।
महाकुंभ केवल एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है, जो भारत की प्राचीन परंपराओं, धार्मिक विश्वासों और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। यहां सभी जाति, संप्रदाय और वर्ग के लोग एक साथ आकर एकता और समानता का संदेश देते हैं। कुंभ मेले के माध्यम से न केवल भारत की आध्यात्मिकता का प्रदर्शन होता है, बल्कि यह एक ऐसा मंच भी बनता है, जहां देश-विदेश के लोग भारतीय संस्कृति को करीब से समझ सकते हैं। इस बार के महाकुंभ ने दुनिया को भारतीय अध्यात्म और संस्कृति की भव्यता से परिचित कराया है। कुंभ मेले की भव्यता और श्रद्धालुओं की अपार संख्या ने इसे इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में दर्ज कर दिया है। यह आयोजन न केवल आस्था और श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर का भी परिचायक है। महाकुंभ के माध्यम से भारत ने विश्व को शांति, सौहार्द और मानवता का संदेश दिया है, जो इसे केवल एक धार्मिक आयोजन से कहीं अधिक, एक वैश्विक आध्यात्मिक महासंगम बना देता है।