विनोद कुमार झा
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का चेहरा अब एक नए विवाद में घिरता दिख रहा है। जिस ईमानदारी की छवि को लेकर वह राजनीति के मंच पर आए थे, वह अब संदेह के घेरे में है। उनके सरकारी बंगले की जाँच के आदेश केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने जारी कर दिए हैं। यह जाँच इस बात की पड़ताल करेगी कि क्या बंगले के निर्माण और उसमें हुए खर्च में सरकारी नियमों का उल्लंघन हुआ था। दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में स्थित 6 फ़्लैग स्टाफ़ रोड पर बना यह सरकारी बंगला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बंगले का उपयोग अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2015 से 2024 तक अपने आधिकारिक निवास के रूप में किया। यह हवेलिनुमा इमारत करीब 8 एकड़ में फैली हुई है और इस पर लगभग 45 करोड़ रुपये की लागत आई थी।जाँच के दौरान मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा: बगले के निर्माण में सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन हुआ या नहीं। 40 हज़ार वर्ग गज में बनी इस इमारत में हुए भारी-भरकम खर्च की वैधता। क्या सार्वजनिक धन का अनुचित तरीके से उपयोग किया गया। इंटीरियर डिज़ाइन और डेकोरेशन पर खर्च हुए 11.30 करोड़ रुपये की पारदर्शिता। इस विवाद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कई बार आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को घेरा है। बीजेपी ने इसे ‘शीश महल’ नाम देकर जनता के पैसे की बर्बादी बताया और चुनावी मुद्दा बना दिया। पार्टी के अनुसार, यह जनता के विश्वास और करदाताओं के धन का दुरुपयोग है, जो आम आदमी के हितों के खिलाफ जाता है। अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में पारदर्शिता, ईमानदारी और सादगी को अपना आदर्श बताया था। लेकिन उनके सरकारी आवास पर हुए बड़े खर्चों ने उनकी छवि पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अब सवाल यह उठता है कि इस जाँच में क्या तथ्य सामने आएंगे? क्या यह पूरी तरह से सरकारी नियमों के तहत बना था या इसमें घोटाले की आशंका सही साबित होगी?
आने वाले समय में इस जाँच के नतीजे ही यह तय करेंगे कि केजरीवाल की ईमानदारी की परतें और कितनी मजबूत हैं या फिर यह पूरा मामला सिर्फ एक और राजनीतिक नाटक बनकर रह जाएगा। जनता को अब जवाब चाहिए, और जाँच से ही यह स्पष्ट होगा कि सच्चाई क्या है।