चैनपुर के नीलकंठ धाम और मटेश्वर नाथ मंदिर में शिवरात्रि पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

 विनोद कुमार झा

चैनपुर। बिहार के सहरसा जिले में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिवभक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। जिले के चैनपुर गांव स्थित नीलकंठ धाम में 24 घंटे के "ॐ नमः शिवाय" कीर्तन के साथ पूरे गांव में शिव बारात की भव्य झांकी निकाली गई। दूर-दराज से श्रद्धालु भगवान आशुतोष की पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़े, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया।  

शिवभक्तों की सुविधा के लिए मंदिर समिति का प्रयास 

नीलकंठ मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष अमरकांत झा, मिहिर कुमार झा, पंकज झा, प्रमोद मिश्रा, मदन मिश्रा एवं समस्त ग्रामवासियों ने मंदिर में आने वाले भक्तों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा। समिति द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी श्रद्धालु को पूजा-पाठ में कोई असुविधा न हो।  

मटेश्वर नाथ मंदिर: रहस्यमयी शिवलिंग का दिव्य चमत्कार


सहरसा जिले के बलवा गांव के पास स्थित मटेश्वर नाथ मंदिर भी महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं से भरा रहा। यह मंदिर अपने अद्भुत शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी ऊँचाई लगभग 4 फीट है।  

मटेश्वर नाथ मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी मान्यताएँ  

- कहा जाता है कि भगवान आशुतोष दोपहर 12:00 बजे के बाद इसी मंदिर में विराजमान होते हैं।  

- इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि शिवलिंग पर जितना भी जलाभिषेक किया जाता है, उसका पानी कहां चला जाता है, यह आज तक कोई नहीं जान पाया। 

- कुछ मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग के नीचे एक गुप्त कुआं है, जिसमें सारा जल समाहित हो जाता है।  

- वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि शिवलिंग की वास्तविक गहराई आज तक कोई माप नहीं पाया।  

श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए प्रशासन सतर्क

मटेश्वर नाथ मंदिर में भी प्रशासन की ओर से भक्तों की सुविधा के लिए कड़े इंतजाम किए गए थे। मंदिर समिति और प्रशासन ने सुनिश्चित किया कि श्रद्धालु एक-एक करके शांतिपूर्वक मंदिर में प्रवेश करें और दर्शन करें। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन मुस्तैद रहा, ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी घटना न हो। मंदिर परिसर में सुरक्षा बल तैनात किए गए थे, जिससे श्रद्धालु सुरक्षित और सुचारु रूप से पूजा कर सकें।  

महाशिवरात्रि: भक्ति, श्रद्धा और चमत्कार का संगम  

नीलकंठ धाम और मटेश्वर नाथ मंदिर में शिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर भक्ति का अद्भुत माहौल देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की।  ऐसा मान्यता  है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

"हर हर महादेव!" के जयघोष से गूंजते इन पवित्र स्थलों पर शिवभक्ति का यह पर्व ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बन गया।

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