विनोद कुमार झा
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को अब मात्र सात दिन शेष रह गए हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही। हर दिन लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़ रहे हैं, जिससे मार्गों पर जाम लग रहा है और व्यवस्थाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है। बुधवार को भी सुबह से ही संगम नगरी में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा, जिससे यातायात प्रभावित हुआ और व्यवस्था को संभालना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया।महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि संगम रेलवे स्टेशन को अस्थायी रूप से 28 फरवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है। इसका अर्थ है कि यह स्टेशन अब महाकुंभ के समापन के बाद ही खुलेगा। संगम जाने वाले मुख्य मार्गों पर लगातार लंबा जाम लग रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलकर संगम तक पहुंचना पड़ रहा है। महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा उत्सव है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ में संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, यही कारण है कि भक्त बड़ी संख्या में यहां उमड़ रहे हैं। हालांकि, इस बार अनुमान से अधिक भीड़ जुटी हुई है, जिससे सभी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार और प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई इंतजाम किए हैं, लेकिन अत्यधिक भीड़ के कारण कई स्थानों पर अव्यवस्था देखने को मिल रही है। पुलिस प्रशासन यातायात नियंत्रण के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन जाम की समस्या बनी हुई है। संगम तक पहुंचने के लिए बसों और ट्रेनों की संख्या बढ़ाई गई थी, लेकिन अब रेलवे स्टेशन को ही बंद करना पड़ा है। ऐसे में प्रशासन की योजना पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या व्यवस्थाएं पर्याप्त थीं? एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या श्रद्धालु खुद इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं? कई श्रद्धालु बिना किसी पूर्व योजना के महाकुंभ में पहुंच रहे हैं, जिससे अचानक भीड़ बढ़ जाती है। इसके अलावा, प्रशासन के दिशा-निर्देशों का सही से पालन न करने और यातायात नियमों की अनदेखी करने से समस्या और विकराल हो रही है।
अब जबकि महाकुंभ के समापन में कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में जो लोग अभी तक जाने का इंतजार कर रहे थे कि भीड़ कम होगी, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि अब भीड़ कम होने की संभावना बहुत कम है। यदि आप अभी भी महाकुंभ जाने की योजना बना रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप प्रशासन द्वारा सुझाए गए मार्गों और दिशा-निर्देशों का पालन करें ताकि यात्रा सुगम हो सके। महाकुंभ भारतीय आस्था और श्रद्धा का सबसे बड़ा पर्व है, लेकिन अत्यधिक भीड़ और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण यह अनुभव कई लोगों के लिए कठिन भी बन सकता है। आवश्यक है कि सरकार और श्रद्धालु दोनों मिलकर सहयोग करें, ताकि महाकुंभ का यह ऐतिहासिक आयोजन बिना किसी परेशानी के संपन्न हो सके।