विनोद कुमार झा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का संकेत है। यह दौरा न केवल कूटनीतिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह दोनों देशों के बीच गहरे होते सहयोग और आपसी विश्वास का प्रमाण भी था। बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी नई संभावनाओं को जन्म दे रही है, जो न केवल व्यापार तक सीमित है, बल्कि रक्षा, अंतरिक्ष, जलवायु परिवर्तन और नवीनतम तकनीकों तक विस्तारित हो रही है।
फ्रांस में आयोजित 14वें भारत-फ्रांस सीईओ फोरम और एआई शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांसीसी निवेशकों को भारत की अपार संभावनाओं से परिचित कराया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में निवेश करने का यह सबसे उपयुक्त समय है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और एक स्थिर तथा पूर्वानुमानित नीतिगत ढांचा विकसित हो चुका है। भारत सरकार लगातार व्यापार को सरल बनाने, नौकरशाही प्रक्रियाओं को कम करने और विदेशी कंपनियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए प्रयासरत है।
"मेक इन इंडिया," "आत्मनिर्भर भारत" और "डिजिटल इंडिया" जैसी पहलें न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को नया रूप दे रही हैं, बल्कि वैश्विक निवेशकों को भी आकर्षित कर रही हैं। बुनियादी ढांचे का तेज विकास, नवाचारों को बढ़ावा और व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में उठाए गए कदम भारत को एक प्रमुख वैश्विक निवेश गंतव्य बना रहे हैं। इसके अलावा, स्टार्टअप इंडिया और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं ने भी भारत को विनिर्माण और तकनीकी नवाचार का केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
भारत और फ्रांस के बीच बढ़ता आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग रक्षा क्षेत्र में भी मजबूत हो रहा है। दोनों देशों ने पहले ही राफेल लड़ाकू विमानों की डील की है, और अब संयुक्त रक्षा उत्पादन की दिशा में भी बातचीत चल रही है। इसके अलावा, समुद्री सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग भारत-फ्रांस साझेदारी को और अधिक रणनीतिक बना रहा है। दोनों देश जलवायु परिवर्तन से निपटने और अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए भी मिलकर काम कर रहे हैं, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की भूमिका महत्वपूर्ण है।
भारत और फ्रांस के संबंधों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सहयोग भी एक महत्वपूर्ण आयाम बन चुका है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाएं दोनों देशों की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही हैं। इस दौरे के दौरान, भारत और फ्रांस ने ग्रीन हाइड्रोजन, डिजिटल तकनीक और उन्नत विनिर्माण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई, जो दोनों देशों की आर्थिक वृद्धि और सतत विकास को गति देगा। फ्रांस न केवल यूरोप में भारत का एक प्रमुख साझेदार है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी दोनों देश बहुपक्षीय संगठनों में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के प्रयासों को फ्रांस का समर्थन महत्वपूर्ण रहा है। इसके अलावा, दोनों देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
नए भारत की आकांक्षाएं अब केवल राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वे वैश्विक मंच पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है, जिससे भारत और फ्रांस की साझेदारी को नई ऊर्जा मिली है। इस सहयोग से न केवल दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और तकनीकी प्रगति को भी एक नई गति मिलेगी। यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में भारत-फ्रांस संबंध केवल व्यापारिक साझेदारी तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और सतत विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।