बेरोक-टोक बुलंदशहर रोड पर अवैध निर्माण
पवन पाराशर खबर मार्निंग
हापुड़। कहते हैं कि कभी का दिन बड़ा कभी की रात। यह कहावत मौजूदा समय में एचपीडीए के अधिकारियों पर पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है। शहरी क्षेत्र में लगातार अवैध निर्माण के माध्यम से रातों-रात ऊंची-ऊंची बिल्डिंग खड़ी हो रही हैं लेकिन हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण के अधिकारी या तो कुंभकर्ण की नींद सो रहे हैं या फिर उन्हें चाँदी की चकाचौंध ने अंधा कर दिया है। बुलंदशहर रोड पर सामिया गार्डन के सामने एक व्यक्ति लगातार अवैध निर्माण करा रहा है लेकिन अभी तक एचपीडीए के अधिकारियों की नज़र उस पर टेढ़ी होने के बजाय उसके द्वारा किए जा रहे अवैध कार्य को निहार रही है। वह जिस प्रकार से अवैध करा रहा हैं उसे देखते हुए इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि उसका कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण है। तभी तो वह निडर होकर अवैध कार्य करा रहा है।
बुलंदशहर रोड पर सामिया गार्डन के सामने एक बाहुबली दानिश जिलानी बेसमेंट व अन्य अवैध निर्माण करा रहा है। राज्य सरकार ने बेसमेंट के अंदर संचालित संस्थान व दुकानों में हो रहे हादसों की वजह से फिलहाल इस पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण के अधिकारी दानिश के अवैध कार्य ओर नजर भरकर तक नहीं देख रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या दानिश जिलानी विभाग से बड़ा है। उसका मामला लगातार मीडिया की सुर्खियां बनता जा रहा है तब भी विभाग के अधिकारियों की नींद नहीं टूटती नजर आ रही है और न ही अवैध निर्माण पर शिकंजा कसने की कोई कवायद अभी तक शुरू की गई है।
उक्त मामलों के संबंध में जब एचपीडीए के उपाध्यक्ष को फोन करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव करने की जहमत नहीं उठाई। एचपीडीए के सचिव प्रवीण गुप्ता ने कहा था कि बुलंदशहर रोड पर हो रहे कुछ लोगों के अवैध निर्माण से बन रहे बेसमेंट को सील कर कार्रवाई की जाएगी। दिलचस्प बात तो यह है कि विभाग सीलिंग की कार्रवाई भी कर चुका है फिर भी निर्माण कार्य बदस्तूर जारी है। जिससे साफ जाहिर होता है कि अगर एचपीडीए के अधिकारी डाल-डाल हैं तो अवैध निर्माण करा रहे लोग पात-पात हैं। साथ ही यह भी कहा है कि अवैध निर्माणों की वजह से सरकार को भारी राजस्व की हानि भी हो रही है।
इस मामले से साफ जाहिर होता है कि हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण के लोग अपने कर्तव्य के प्रति कितने सचेत हैं। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कहीं अवैध निर्माण करने वालों को हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण के चंद लोगों की सरपरस्ती व राजनीतिक संरक्षण प्राप्त तो नहीं है। जिनकी शह पर अवैध कार्य का यह खेला खेला जा रहा है।