पवन पाराशर खबर मार्निंग
हापुड़। आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सरकार द्वारा निशुल्क वितरण किए जाने वाले पोषाहार में होने वाली धांधली रुकने का नाम नहीं ले रही है। राशन वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए कई बार नियम-क़ानूनों में बदलाव किये जा चुके हैं लेकिन नतीजा अभी तक ढाक के तीन पात रहा है। ऐसा नहीं है कि उच्चाधिकारी इस पूरे मामले को लेकर परेशान नहीं हैं किन्तु वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
बाल विकास विभाग में महिलाओं और बच्चों को सरकार द्वारा कुपोषण के बचाने के लिए ड्राईयुक्त राशन का वितरण किया जाता है, जिसमे दाल, दलिया, रिफाइंड व अन्य चीजें भी शामिल है। इस राशन को आंगनवाड़ी केन्द्रों पर कार्यकत्री के माध्यम से वितरित कराया जाता है। उस समय कार्यकत्री एक कि॰ग्रा॰ के दाल के पैकेट को 40 रुपए में जरूरतमंदों को बेच देती थी जबकि रिफाइंड का पैकेट को 80-100 में बेचा जाता था। इतना ही नहीं, दलिया घरेलू पशुओं का निवाला बन जाता था।
आंगनवाड़ी केन्द्रों में राशन के वितरण में भारी अनियमिताओं को देखते हुए राज्य शासन ने वितरण के नियमों मे बदलाव करते हुए शहरी क्षेत्रों में सभासद और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधान या अन्य जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में वितरित किया जाने के आदेश जारी किये है। आंगनवाड़ी केन्द्रों पर राशन की आपूर्ति करना और वितरण के समय आंगनवाड़ी केन्द्रों पर उपस्थित रहने के लिए सरकार ने स्वंय सहायता समूह की महिलाओं को भी शामिल किया है लेकिन अभी तक देखा गया है यह राशन के घोटाले और गबन के मामले मे सबसे ज्यादा मामले समूह की महिलाओ के आ रहे हैं। समूह की महिलाओं द्वारा केन्द्रों पर राशन आपूर्ति करने के बीच मे ही राशन को गायब करने और केन्द्रों पर निश्चित मात्र मे न उपलब्ध करने की लगातार शिकायत आ रही है।
जनपद हापुड़ मे भी इन समूह की महिलाओं व आंगनवाड़ी कार्यकत्री द्वारा राशन गबन और घर से बेचने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। नाम न प्रकाशित करने पर एक सीडीपीओ मानती है कि स्वयं सहायता समूह वाले कार्यालय से राशन का उठान तो पूरा करते हैं लेकिन केन्द्रों पर राशन के वितरण में भारी गड़बड़ी देखने की शिकायतें मिलती हैं। सीडीपीओ का कहना है कि समूह का संचालन करने वाले राजनीतिक नेता और दबंग लोग हैं। ये आंगनवाड़ी केन्द्रों पर कम राशन देते है। अगर इन समूह के स्टॉक का निरीक्षण किया जाए तो राजनीतिक लोगों के फोन आने लगते हैं। जिसके कारण इन पर कार्यवाही नहीं होती। इनके द्वारा केन्द्रों पर पर्याप्त राशन न पहुचने से लाभार्थियो को राशन पूरा नहीं मिलता है।
समूह का संचालन करने वाले दबंग लोग होते हैं। अगर सीडीपीओ द्वारा राशन की गड़बड़ी मिलने पर कार्यवाही की जाती है तो सीडीपीओ को भी समूह वाले से हमला करने और जान से खतरा बना रहता है। अधिकारी खुद चाहती है कि इन समूह का बाल विकास से मध्यस्था खत्म होनी चाहिए। समूह वालों की दबंगई के चलते केन्द्रों का निरीक्षण नहीं किया जाता हैं।