विनोद कुमार झा
देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता के लिए अवैध प्रवासन एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। विशेष रूप से बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की बढ़ती संख्या ने सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा से जुड़े कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि इन घुसपैठियों को भारत में प्रवेश कराने, उनके दस्तावेज तैयार करवाने और उन्हें आश्रय देने वाले पूरे नेटवर्क के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और इस समस्या के समाधान की दिशा में ठोस प्रयासों की मांग करता है।
भारत में अवैध घुसपैठ केवल एक जनसंख्या समस्या नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का एक संवेदनशील विषय भी है। बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की बड़ी संख्या में भारत में मौजूदगी न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि यह आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और संगठित अपराध जैसी गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार ये अवैध घुसपैठिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं और सरकारी सुविधाओं का अनुचित लाभ उठाते हैं। इससे न केवल देश की आर्थिक संसाधनों पर दबाव पड़ता है, बल्कि वास्तविक नागरिकों के अधिकार भी प्रभावित होते हैं।
देश की राजधानी दिल्ली समेत कई महानगरों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का बसेरा है। कई रिपोर्टों में यह सामने आया है कि ये घुसपैठिए अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं, और कई बार सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संदिग्ध गतिविधियों के चलते गिरफ्तार भी किए गए हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अंतरराज्यीय अपराधी गिरोहों और मादक पदार्थों के नेटवर्क को पूरी तरह खत्म किया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए।
इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए निम्नलिखित ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे :- सख्त कानूनों का क्रियान्वयन : अवैध घुसपैठियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया को तेज करने के लिए विदेशी नागरिक (अवैध प्रवेश) अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना आवश्यक है।
सीमा सुरक्षा को मजबूत बनाना : भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा बलों की सतर्कता और निगरानी तकनीकों को और अधिक उन्नत करने की जरूरत है। अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, ड्रोन और आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।
फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले नेटवर्क पर कार्रवाई: अवैध घुसपैठियों को आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसी भारत की नागरिक पहचान देने वाले नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
अवैध बस्तियों को हटाना : महानगरों में अवैध रूप से बसे घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत हटाने की योजना बनाई जानी चाहिए।
राज्यों के सहयोग से कार्रवाई : यह एक अखिल भारतीय समस्या है , इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर समन्वय के साथ ठोस कार्रवाई करनी होगी।
अवैध घुसपैठ देश की सुरक्षा, आर्थिक संसाधनों और सामाजिक ताने-बाने के लिए एक गंभीर खतरा है। इसे केवल राजनीतिक मुद्दा मानकर अनदेखा नहीं किया जा सकता। सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए कड़े कानूनों और सख्त प्रशासनिक कार्रवाई का सहारा लेना होगा। साथ ही, नागरिकों को भी सतर्क रहकर फर्जी दस्तावेजों और अवैध गतिविधियों की सूचना प्रशासन को देनी चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा यह विषय तत्काल ध्यान देने योग्य है, और यदि सही कदम उठाए गए तो यह समस्या नियंत्रित की जा सकती है। देश की अखंडता, सुरक्षा और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अवैध घुसपैठ को रोकना अनिवार्य है।