आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक, सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

विनोद कुमार झा


संसद में पारित आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक, 2024 भारतीय आपदा प्रबंधन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में दिए गए जवाब में इस विधेयक की जरूरत और उसके प्रभावों को विस्तार से समझाया गया। उनका कहना था कि यह विधेयक आपदा प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही, दक्षता और बेहतर समन्वय को बढ़ाने के लिए लाया गया है, जिससे आपदाओं से निपटने की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।  

भारत, अपनी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के कारण, प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। बाढ़, चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन और सूखा जैसी आपदाएं देश के विभिन्न हिस्सों में नियमित रूप से कहर बरपाती हैं। इनसे निपटने के लिए एक मजबूत, सक्रिय और विकेंद्रित आपदा प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है, जो केवल नीतियों तक सीमित न रहकर स्थानीय स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करे।  

इस संशोधन विधेयक के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) को अधिक सक्रिय बनाने की योजना है। साथ ही, राज्यों को शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMA) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) स्थापित करने का अधिकारदिया जाएगा। इससे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा और निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी।  विपक्ष ने इस विधेयक पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इससे केंद्र की शक्तियों का केंद्रीकरण होगा और राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी। हालांकि, सरकार का तर्क है कि यह विधेयक राज्यों को अधिक अधिकार और संसाधन प्रदान करने की दिशा में है। अमित शाह ने स्पष्ट किया कि 89% सुझावों को स्वीकार किया गया है, जिनमें विपक्ष शासित राज्यों से मिले सुझाव भी शामिल हैं। यह दिखाता है कि सरकार ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही इस विधेयक को अंतिम रूप दिया है।  

गृह मंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए पीएम राहत कोष और पीएम केयर्स फंड का मुद्दा उठाया। उनका आरोप था कि कांग्रेस सरकार के दौरान पीएम राहत कोष पर एक परिवार का नियंत्रण था, जबकि पीएम केयर्स फंड में पांच मंत्रियों और सचिवों की समिति द्वारा पारदर्शी तरीके से खर्च की समीक्षा की जाती है। हालांकि, यह मुद्दा आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक से सीधे जुड़ा हुआ नहीं था, लेकिन इस पर बहस से राजनीतिक तनाव बढ़ा।  यह संशोधन विधेयक भारत की  आपदा प्रबंधन रणनीति को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे स्थानीय प्रशासन को अधिक अधिकार मिलेंगे, आपदा से निपटने के लिए बेहतर डेटा संग्रह प्रणाली बनेगी और नवीनतम तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।  

हालांकि, वास्तविक परीक्षा इसके क्रियान्वयन में होगी। यदि राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय सही तरीके से स्थापित नहीं हुआ या संसाधनों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित नहीं हुआ, तो यह विधेयक भी सिर्फ कागजी सुधार बनकर रह सकता है।  सरकार को चाहिए कि वह राज्यों के अधिकारों की रक्षा करते हुए पारदर्शी तरीके से संसाधनों का आवंटन करे , ताकि यह संशोधन सही मायनों में आपदा प्रबंधन की क्षमता को मजबूत करने में सफल हो। यदि ऐसा होता है, तो यह विधेयक भारत को वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन में अग्रणी बनाने में मदद करेगा, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लक्ष्य रखा है।

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