जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं!
विनोद कुमार झा
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस न केवल महिलाओं की उपलब्धियों को सराहने का अवसर है, बल्कि उनके समक्ष मौजूद चुनौतियों और लैंगिक समानता की दिशा में उठाए गए कदमों पर विचार करने का भी समय है। भारत और विश्व के इतिहास में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे वह प्राचीन काल हो या आधुनिक युग, महिलाओं ने समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास :इस दिवस की शुरुआत 20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी, जब महिलाओं ने बेहतर वेतन, काम करने की उचित परिस्थितियों और मताधिकार के लिए आंदोलन शुरू किए।
1908: अमेरिका में लगभग 15,000 महिलाओं ने कामकाजी अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया।
1910: क्लारा ज़ेटकिन नामक समाजवादी कार्यकर्ता ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सुझाव दिया।
1911: पहली बार ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में महिला दिवस मनाया गया।
प्राचीन काल में महिलाओं की भूमिका :प्राचीन काल में महिलाओं को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था। वे केवल परिवार और गृहस्थी तक सीमित नहीं थीं, बल्कि शासन, शिक्षा, युद्ध और धर्म के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं। जैसे:-
1. वैदिक काल की विदुषियाँ: गार्गी, मैत्रेयी और अपाला जैसी विदुषियों ने ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।
2. युद्ध और शासन में महिलाएँ: रानी लक्ष्मीबाई और रुद्रमा देवी जैसी वीरांगनाएँ राष्ट्र की रक्षा में आगे रहीं।
3. धर्म और भक्ति आंदोलन में योगदान: मीराबाई और अक्का महादेवी जैसी संत महिलाओं ने समाज को नई दिशा दी।
आधुनिक युग में महिलाओं की भूमिका: आधुनिक युग में महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान दे रही हैं।
1.स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी, और अरुणा आसफ अली जैसी महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. शिक्षा और विज्ञान में योगदान: सावित्रीबाई फुले ने महिला शिक्षा की नींव रखी, जबकि कल्पना चावला, मदर टेरेसा और सुनीता विलियम्स जैसी वैज्ञानिकों ने भारत का नाम रोशन किया।
3. राजनीति और प्रशासन में नेतृत्व: इंदिरा गांधी, प्रतिभा पाटिल, निर्मला सीतारमण जैसी महिलाओं ने उच्च पदों पर रहते हुए देश को नेतृत्व प्रदान किया।
4. आर्थिक और औद्योगिक विकास में योगदान: किरण मजूमदार शॉ, इंदिरा नूई, और फाल्गुनी नायर जैसी उद्यमी महिलाओं ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।
5. खेल और कला के क्षेत्र में उपलब्धियाँ: पी.वी. सिंधु, पीटी ऊषा, साइना नेहवाल, मैरी कॉम, लता मंगेशकर और किरण बेदी जैसी महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में देश का गौरव बढ़ाया।
महिला सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण : महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं के उत्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समग्र राष्ट्र की प्रगति से जुड़ा हुआ है।
1. शिक्षा और जागरूकता: शिक्षित महिलाएँ एक शिक्षित समाज का निर्माण करती हैं।
2. आर्थिक स्वतंत्रता: महिलाएँ उद्यमिता और कार्यबल में योगदान देकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं।
3. राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व: महिलाएँ प्रशासन और नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
4. नवाचार और तकनीकी क्षेत्र में भागीदारी: महिलाएँ विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान में नई ऊँचाइयाँ छू रही हैं।
2024 की थीम: "Inspire Inclusion :इस वर्ष की थीम Inspire Inclusion है, जो समाज में महिलाओं की समान भागीदारी को प्रोत्साहित करने और उनके लिए अवसर सुनिश्चित करने पर जोर देती है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उन संघर्षों और उपलब्धियों को पहचानने का दिन है जिन्होंने समाज और राष्ट्र को आगे बढ़ाया है। प्राचीन काल से लेकर आज तक, महिलाएँ हमेशा समाज का अभिन्न अंग रही हैं और उन्होंने देश निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब महिलाएँ सशक्त होंगी, तभी समाज और राष्ट्र की वास्तविक प्रगति संभव होगी।