विनोद कुमार झा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया मॉरीशस यात्रा न केवल कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही, बल्कि इसने दोनों देशों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक गहरा किया। भारत और मॉरीशस के बीच जो आत्मीयता और घनिष्ठता रही है, वह केवल आर्थिक या सामरिक साझेदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह साझा इतिहास, संस्कृति और मूल्यों पर आधारित है। इस यात्रा में पीएम मोदी ने मॉरीशस को ‘ग्लोबल साउथ’ और भारत के बीच सेतु करार दिया, जो वैश्विक दक्षिण की आवाज को एकजुट करने और सशक्त करने की भारत की नीति को दर्शाता है।
भारत और मॉरीशस के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। मॉरीशस की आबादी का बड़ा हिस्सा भारतीय मूल का है, जिससे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्ता है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में मॉरीशस को नए संसद भवन के निर्माण में सहयोग का आश्वासन दिया गया, जो भारत की ‘विकास सहयोग’ नीति का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त, भारतीय नौसेना के विध्वंसक पोत आईएनएस इंफाल की मौजूदगी ने भी इस यात्रा को विशेष बना दिया। मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में भारतीय युद्धपोतों और सैन्य टुकड़ियों की भागीदारी यह दर्शाती है कि दोनों देशों के संबंध केवल सांस्कृतिक और आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग तक भी विस्तारित हो चुके हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए, भारत और मॉरीशस के बीच यह रक्षा साझेदारी दोनों देशों की सुरक्षा नीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
पीएम मोदी की गंगा तालाब (ग्रैंड बेसिन) की यात्रा और वहां प्रयागराज से लाए गए गंगाजल को मिलाना एक गहरे सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव का संकेत था। मॉरीशस में बसे प्रवासी भारतीयों के लिए गंगा तालाब केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि उनकी आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है। मोदी की यह पहल प्रवासी भारतीयों के मन में भारत के प्रति सम्मान और गौरव की भावना को और प्रगाढ़ करने वाली साबित हुई।
यह स्पष्ट है कि भारत और मॉरीशस के संबंध अब एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हो चुके हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था, ब्लू इकोनॉमी, रक्षा सहयोग और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की असीम संभावनाएं हैं। इस यात्रा के दौरान मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम और पीएम मोदी के बीच हुई वार्ता ने यह सुनिश्चित किया कि आने वाले वर्षों में यह साझेदारी और अधिक सशक्त होगी।
पीएम मोदी की यह यात्रा केवल द्विपक्षीय समझौतों या औपचारिक वार्ताओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने भारत-मॉरीशस संबंधों को एक नई दिशा दी है। यह यात्रा दिखाती है कि भारत वैश्विक मंच पर न केवल एक रणनीतिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, बल्कि अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी साथ लेकर चल रहा है। मॉरीशस और भारत के बीच बढ़ती साझेदारी हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और विकास के नए आयाम स्थापित करेगी।