इंदिरा आवास योजना में फर्जीवाड़ा: अपात्र लोग उठा रहे गलत तरीके से लाभ

बिहार में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए चलाई जा रही इंदिरा आवास योजना का लाभ लेने के लिए कई लोग सरकार को गुमराह करने में जुटे हैं। योजना के तहत उन लोगों को आर्थिक सहायता दी जाती है, जिनके पास पक्का मकान नहीं है और जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन, अब कई अपात्र लोग फर्जी तरीके अपनाकर इस योजना का लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं।

कैसे किया जा रहा है फर्जीवाड़ा?

कुछ लोग किसी दूसरे व्यक्ति के अर्धनिर्मित मकान में खड़े होकर तस्वीरें खिंचवा रहे हैं और सरकारी कर्मचारियों को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके पास रहने के लिए कोई पक्का मकान नहीं है। ये तस्वीरें आवेदन पत्र के साथ संलग्न कर अधिकारियों को भेजी जा रही हैं ताकि वे योजना के तहत अनुदान प्राप्त कर सकें।

जांच में यह सामने आया है कि कई ऐसे लोग इस योजना का लाभ लेने की फिराक में हैं, जिनके पास पहले से ही पक्के मकान, गाड़ियां और अन्य सुख-सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बावजूद, वे झूठे दस्तावेज और फर्जी तस्वीरों के सहारे सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

फर्जीवाड़ा का तरीका : दूसरे के अधूरे मकान में फोटो खिंचवाना: लोग किसी ऐसे मकान के सामने खड़े होकर तस्वीरें खिंचवा रहे हैं, जो अधूरा बना हुआ है या निर्माणाधीन है।  

झोपड़ी या कच्चे मकान में रहने की झूठी जानकारी देना: आवेदन में गलत जानकारी देकर यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि उनके पास कोई स्थायी घर नहीं है।

फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करना: कई अपात्र लोग फर्जी बीपीएल कार्ड, आय प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज बनवा रहे हैं ताकि वे इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकें।  

सरकारी कर्मियों को गुमराह करना: कुछ लोग अधिकारियों को गलत जानकारी देकर लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं।  

इंदिरा आवास योजना गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है, लेकिन यदि इसका दुरुपयोग रोका नहीं गया, तो वास्तविक जरूरतमंदों को उनका हक नहीं मिल पाएगा। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे सख्त सत्यापन प्रक्रिया अपनाएं, डिजिटल रिकॉर्ड रखें और फर्जी लाभार्थियों पर सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, जनता को भी जागरूक होना चाहिए और किसी भी तरह की धोखाधड़ी की सूचना संबंधित अधिकारियों को देनी चाहिए।  इससे जरूरतमंद और गरीब लोगों को इस योजना का सही लाभ मिल सकेगा, जो वास्तव में इसके हकदार हैं।

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