विनोद कुमार झा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया बयान भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारत ने सदैव शांति और संवाद की नीति को प्राथमिकता दी है, लेकिन बार-बार पाकिस्तान द्वारा विश्वासघात और शत्रुता की नीति अपनाई गई है। आतंकवाद को बढ़ावा देना और संघर्ष विराम का उल्लंघन करना पाकिस्तान की स्थायी रणनीति बन चुकी है, जिससे न केवल भारत, बल्कि स्वयं पाकिस्तान की जनता भी पीड़ित है। भारत और पाकिस्तान के संबंध ऐतिहासिक रूप से जटिल रहे हैं। कई सरकारों ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए, लेकिन हर बार भारत को निराशा ही हाथ लगी। मोदी सरकार के कार्यकाल में भी शांति की पहल हुई, लेकिन पाकिस्तान का रवैया वही पुराना रहा। भारत की नीति स्पष्ट रही है – वह शांति की राह पर चलेगा, लेकिन अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेगा।
भारत की विदेश नीति केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में संतुलन बनाए रखना उसका प्रमुख उद्देश्य है। चीन के साथ भी भारत के मतभेद हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया है कि भारत टकराव की बजाय संवाद और सहयोग को प्राथमिकता देता है। भारत और चीन दोनों ही वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर हैं, और इनके बीच सहयोग न केवल क्षेत्रीय स्थिरता, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी आवश्यक है। इसके अलावा, भारत और अमेरिका के संबंध भी लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक हितों पर आधारित सहयोग है, जो न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मोदी सरकार के तहत भारत अब एक आत्मनिर्भर और सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है, जो अपने हितों की रक्षा करते हुए भी वैश्विक कूटनीति में अहम योगदान दे रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान केवल पाकिस्तान को चेतावनी नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संदेश है – टकराव और अस्थिरता किसी के भी हित में नहीं है। स्थिरता और सहयोग ही वह मार्ग है जो क्षेत्रीय और वैश्विक शांति की कुंजी हो सकता है। भारत ने हमेशा से शांति और कूटनीति की राह अपनाई है, लेकिन अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता न करने की प्रतिबद्धता भी स्पष्ट है। अब यह पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों पर निर्भर करता है कि वे इस संदेश को किस रूप में लेते हैं। यदि वे शांति और स्थिरता की राह अपनाते हैं, तो इससे न केवल उनके नागरिकों का जीवन सुधरेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं, यदि वे पुरानी नीतियों पर अड़े रहते हैं, तो भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
भारत की विदेश नीति का मूल आधार शांति, संवाद और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा है। प्रधानमंत्री मोदी का बयान इस नीति को मजबूती से स्थापित करता है। भारत ने हरसंभव प्रयास किया है कि पड़ोसी देशों से संबंध सौहार्दपूर्ण बने रहें, लेकिन यदि शांति की पहल को कमजोरी समझा गया, तो भारत अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान समेत सभी पड़ोसी देश समझें कि सहयोग और स्थिरता ही सही भविष्य की कुंजी हैं।