विनोद कुमार झा
भारत में होली का त्यौहार उमंग, उत्साह और प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व न केवल रंगों की बौछार का अवसर है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। हर उम्र के लोग—बच्चे, युवा, वृद्ध—सभी इस रंगीन पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन हर कोई गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाता है तथा प्रेम और सद्भाव का संदेश देता है।
राजनीतिक दल भी होली के इस मौके पर अपने समर्थकों और आम जनता को शुभकामनाएं भेजते हैं। विभिन्न सामाजिक संस्थाएं इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करती हैं, जहां लोग मिल-जुलकर इस पर्व का आनंद उठाते हैं। व्यापार जगत भी होली के रंग में रंगा होता है—बाजारों में रौनक बढ़ जाती है, मिठाइयों और रंग-गुलाल की दुकानों पर भीड़ उमड़ पड़ती है।
होली का संबंध कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जिनमें सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और होलिका की है। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक असुरराज ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने के लिए कई प्रयास किए। अंत में, उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को आग में जलाने का आदेश दिया। लेकिन होलिका स्वयं इस अग्नि में जलकर भस्म हो गई, जबकि प्रह्लाद विष्णु की कृपा से सुरक्षित रहे। इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था, जिससे यह पर्व और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि भाईचारे, प्रेम और सौहार्द का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें जाति, धर्म और ऊँच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर एकता और समरसता का संदेश देता है। रंगों की यह बौछार हर व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा और खुशहाली लाती है।
इसलिए, इस होली पर हम सभी को मिल-जुलकर प्रेम और सद्भाव के रंगों से अपने जीवन को संवारने का संकल्प लेना चाहिए। होली की हार्दिक शुभकामनाएं!