कम कर, अधिक व्यापार...

 विनोद कुमार झा


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जीएसटी दरों को और कम करने की घोषणा भारतीय कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार का संकेत देती है। जीएसटी को 2017 में लागू किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य कर ढांचे को सरल बनाना और कर संग्रह को अधिक प्रभावी बनाना था। समय के साथ, सरकार ने दरों को तर्कसंगत बनाने और व्यापार को सुगम बनाने के लिए कई सुधार किए हैं। अब, जब वित्त मंत्री ने यह संकेत दिया है कि जीएसटी दरें और कम की जाएंगी, तो यह उपभोक्ताओं और उद्योगों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।  करों की ऊँची दरें अक्सर उपभोक्ता खर्च को प्रभावित करती हैं और व्यवसायों पर वित्तीय बोझ बढ़ाती हैं। राजस्व तटस्थ दर (RNR) का 15.8% से घटकर 11.4% तक आना यह दर्शाता है कि सरकार ने कर की दरों को धीरे-धीरे कम किया है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिला है। यदि यह दरें और घटती हैं, तो इसका सीधा लाभ आम जनता और छोटे व्यवसायों को मिलेगा।  कम जीएसटी दरों से उत्पादों और सेवाओं की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे उपभोक्ता मांग में वृद्धि होगी। यह आर्थिक गतिविधियों को गति देने में सहायक होगा और उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। विशेष रूप से, उन क्षेत्रों को राहत मिलेगी जो उच्च जीएसटी दरों के कारण अब तक संघर्ष कर रहे थे।  

जीएसटी स्लैब को और अधिक तर्कसंगत बनाने की पहल से कर अनुपालन में भी सुधार होगा। वर्तमान में, विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग कर स्लैब हैं, जिससे कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। अगर सरकार जीएसटी स्लैब की संख्या को कम करके इसे और सरल बनाती है, तो इससे व्यवसायों को कर प्रणाली को समझने और अनुपालन में आसानी होगी।  इसके अलावा, कम टैक्स दरों से व्यापार जगत में विश्वास बढ़ेगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं को भी बल मिलेगा, क्योंकि घरेलू विनिर्माण को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।  

हालांकि जीएसटी दरों में कटौती से उपभोक्ताओं और व्यापारियों को लाभ होगा, सरकार के राजस्व पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। जीएसटी संग्रह सरकार की आय का एक बड़ा स्रोत है, और यदि दरें घटती हैं, तो राजस्व पर दबाव आ सकता है। लेकिन, यदि कम कर दरों से व्यापार और उपभोग बढ़ता है, तो कर संग्रह में दीर्घकालिक वृद्धि हो सकती है।  सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर कटौती के बावजूद राजस्व संग्रह में स्थिरता बनी रहे। इसके लिए कर चोरी रोकने और कर आधार को बढ़ाने की दिशा में सख्त कदम उठाने होंगे। डिजिटल भुगतान और ई-इनवॉइसिंग जैसी व्यवस्थाओं को और मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि जीएसटी प्रणाली अधिक पारदर्शी और प्रभावी बन सके।  

जीएसटी दरों में संभावित कटौती आर्थिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम उपभोक्ताओं, व्यापार जगत और अर्थव्यवस्था के समग्र विकास के लिए लाभकारी हो सकता है। हालांकि, सरकार को इस प्रक्रिया को संतुलित तरीके से लागू करना होगा, ताकि राजस्व संग्रह में कमी न आए और कर प्रणाली का उद्देश्य पूरा हो सके। अगर यह सुधार सही तरीके से लागू किए जाते हैं, तो भारत की अर्थव्यवस्था और व्यापार जगत को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।


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