आज के समय में फोन सिर्फ बातचीत का जरिया नहीं, बल्कि काम करवाने का भी सबसे आसान तरीका बन गया है। लोग अपनी सुविधानुसार फोन पर ही बड़े-बड़े काम निपटा देते हैं किसी से जानकारी मांगनी हो, किसी से फ्री में राय लेनी हो, या फिर कोई व्यक्तिगत काम कहकर करवा लेना हो। लेकिन सवाल ये उठता है कि जब काम फोन पर ही होता है, तो खर्चा दूसरे का क्यों?
पहले के समय में, जब किसी को मदद चाहिए होती थी, तो वे खुद आकर या लिखकर पूछते थे। लेकिन अब, एक फोन घुमाकर लोग दूसरों से काम करवा लेते हैं। चाहे कोई दस्तावेज मांगना हो, किसी से राय लेनी हो, या फिर किसी से कोई टास्क पूरा करवाना हो। बस फोन उठाया और बोल दिया। लेकिन क्या यह सही है कि एक व्यक्ति अपनी जरूरत का काम करे और खर्चा दूसरे का हो?
अक्सर लोग कहते हैं, "बस एक मिनट के लिए कॉल लगा दो,"लेकिन यह "एक मिनट" कभी-कभी लंबी बातचीत में बदल जाता है। खासकर जब किसी को कोई जानकारी चाहिए होती है या कोई फ्री में सलाह चाहिए होती है, तो वह बिना यह सोचे कि अगले व्यक्ति के समय और पैसे की भी कीमत है, अपनी बातें करता रहता है। यह आदत सिर्फ कॉल और इंटरनेट तक सीमित नहीं है। कई बार लोग विशेषज्ञों को फोन करके फ्री में सलाह मांगते हैं, चाहे वह डॉक्टर हो, वकील, इंजीनियर, शिक्षक, या कोई अन्य प्रोफेशनल। लेकिन अगर आपको किसी विशेषज्ञ की राय चाहिए, तो क्या यह उचित नहीं होगा कि आप उनके समय और ज्ञान की कीमत चुकाएं?
आजकल एक और नया ट्रेंड देखने को मिलता है "यार, जरा नेट ऑन करके देख तो... चाहे किसी को ट्रेन की टिकट का स्टेटस चेक करवाना हो, किसी होटल या फ्लाइट का बुकिंग स्टेटस देखना हो, या फिर कोई ऑनलाइन जानकारी चाहिए हो लोग तुरंत दूसरे का इंटरनेट इस्तेमाल करवाने की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर यह जरूरत आपकी है, तो क्या यह सही है कि खर्चा किसी और का हो?
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे कई मौके आते हैं जब कोई हमसे कहता है, "जरा एक कॉल लगा देना," "नेट ऑन करके देख तो," या फिर "बस एक मैसेज कर देना, मेरा बैलेंस खत्म हो गया है।" यह छोटी-छोटी बातें भले ही सामान्य लगती हों, लेकिन जब बार-बार ऐसा होने लगे, तो यह आदत बन जाती है और खर्चा किसी और के सिर पर आ जाता है।
अगर आपको बैंक में कोई जानकारी चाहिए, किसी कंपनी में संपर्क करना है, या फिर किसी सरकारी विभाग में पूछताछ करनी है, तो यह आपकी जरूरत है। लेकिन कई लोग खुद कॉल करने के बजाय दूसरे से फोन लगवाने की कोशिश करते हैं। सवाल यह उठता है। जब काम आपका है, तो खर्चा किसी और का क्यों?
आजकल इंटरनेट हर किसी की जरूरत बन गया है, लेकिन कई लोग इसे अपनी जिम्मेदारी नहीं मानते। अक्सर लोग कहते हैं, "यार, जरा अपने मोबाइल डेटा से देख तो... मेरा पैक खत्म हो गया है," या फिर "तू ऑनलाइन है न, जरा ये चीज सर्च करके बता दे।" ऐसे लोग अपना काम फ्री में करवाने के लिए दूसरों के मोबाइल डेटा का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप हमेशा दूसरों का डेटा या कॉल इस्तेमाल करेंगे, तो यह एक तरह से उनकी मेहनत पर निर्भर रहने जैसा होगा।
फोन की सुविधा ने हमारी जिंदगी आसान बना दी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम दूसरों पर अनावश्यक बोझ डालें। जब जरूरत आपकी हो, तो खर्चा भी आपका ही होना चाहिए। अगली बार जब कोई कहे, "यार, जरा एक कॉल कर देना," तो सोचिए क्या यह आपका खर्चा होना चाहिए?