वैश्विक व्यापारिक जंग: संरक्षणवाद या आर्थिक संप्रभुता?

 विनोद कुमार झा

अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमीनियम पर लगाए गए टैरिफ ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम का उद्देश्य घरेलू उद्योगों को सुरक्षित करना और अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करना है। हालांकि, इस फैसले से वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप यूरोपीय संघ, कनाडा और अन्य देशों ने भी जवाबी टैरिफ की घोषणा कर दी है।  ट्रंप प्रशासन का यह कदम संरक्षणवादी नीति की ओर इशारा करता है, जहां घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विदेशी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाया जाता है। यह नीति अल्पकालिक रूप से अमेरिकी इस्पात और एल्युमीनियम उद्योगों को लाभ पहुंचा सकती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह अमेरिका के व्यापारिक संबंधों को कमजोर कर सकती है। जवाबी टैरिफ के कारण अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ेगा और वैश्विक व्यापार महंगा हो सकता है।  

भारत ने अभी तक कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि अमेरिकी टैरिफ से भारतीय इस्पात उद्योग प्रभावित होगा। हालांकि, भारत सरकार ने पहले से ही घरेलू इस्पात निर्माताओं की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जैसे कि कच्चे माल पर सीमा शुल्क घटाना और उत्पादन लागत कम करना।  दूसरी ओर, यूरोपीय संघ और कनाडा ने जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है, जिससे यह व्यापारिक तनाव और अधिक बढ़ सकता है। यह स्पष्ट है कि इस टैरिफ युद्ध का सबसे अधिक नुकसान छोटे और मध्यम व्यापारिक उद्यमों को होगा, जो आयात और निर्यात पर निर्भर हैं।  

इस्पात और एल्युमीनियम जैसे बुनियादी उद्योगों पर टैरिफ लगाने से वैश्विक स्तर पर निर्माण लागत बढ़ेगी, जिससे वाहनों, बुनियादी ढांचे और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों पर सीधा असर पड़ेगा। अमेरिका को यह समझना होगा कि व्यापारिक साझेदारों के साथ टकराव से उसकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।  भारत को इस स्थिति से यह सीखने की जरूरत है कि वैश्विक व्यापार प्रणाली कितनी नाजुक हो सकती है। अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है ताकि भारतीय निर्यातकों को अनावश्यक बाधाओं का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, भारत को अपने घरेलू विनिर्माण उद्योगों को मजबूत करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी चाहिए ताकि वह इस तरह के वैश्विक झटकों से बच सके।  

अमेरिका और अन्य देशों के बीच चल रही यह व्यापारिक जंग यह दर्शाती है कि संरक्षणवाद और मुक्त व्यापार के बीच संतुलन बनाना कितना आवश्यक है। एकतरफा टैरिफ नीतियां न केवल व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी अस्थिर कर सकती हैं। भारत सहित सभी देशों को सतर्कता और कूटनीति के साथ इस परिस्थिति का समाधान निकालना होगा, ताकि आर्थिक विकास और व्यापारिक स्थिरता बनी रहे।

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