कहानी: अंजान शहर...

विनोद कुमार झा

रात का अंधेरा धीरे-धीरे घिर रहा था। सड़कें सुनसान थीं, और हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी। नील अपने छोटे से बैग के साथ स्टेशन से बाहर निकला और इधर-उधर देखने लगा। यह शहर उसके लिए बिल्कुल नया था न कोई जान-पहचान, न कोई ठिकाना। बस, इंटरनेट पर मिली एक पुरानी किताब में इस शहर का ज़िक्र था, और वही उसे यहाँ खींच लाया था।  

नील ने एक टैक्सी रोकी और ड्राइवर से पूछा, "यहाँ कोई अच्छी होटल मिलेगी?"  

ड्राइवर ने उसे एक अजीब-सी नज़र से देखा और कहा, "शहर में होटल तो कई हैं, पर रात के समय बाहर घूमना ठीक नहीं।"  नील को यह सुनकर हैरानी हुई, पर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। टैक्सी चल पड़ी, और नील खिड़की से बाहर शहर की सुनसान गलियों को देखने लगा। जगह-जगह पुराने ढांचे, टूटी-फूटी इमारतें, और धुंधली स्ट्रीटलाइट्स इस शहर को किसी भूतिया जगह जैसा बना रही थीं।  

कुछ मिनटों बाद टैक्सी एक छोटी-सी लॉज के सामने रुकी। नील ने पैसे चुकाए और लॉज के अंदर चला गया। रिसेप्शन पर बैठा बूढ़ा आदमी उसे देख कर मुस्कुराया और एक चाबी पकड़ाते हुए कहा, "कमरा नंबर 507... लेकिन खिड़कियाँ मत खोलना।"  नील ने चाबी ली और ऊपर अपने कमरे में चला गया। कमरा छोटा था, लेकिन साफ-सुथरा। उसने बैग एक कोने में रखा और बिस्तर पर लेट गया। लंबी यात्रा के बाद वह बेहद थका हुआ था, लेकिन बूढ़े आदमी की बात उसके दिमाग में घूम रही थी "खिड़कियाँ मत खोलना।"  

रात के करीब दो बजे उसकी नींद खुली। कमरे में अजीब-सी सिहरन थी। हल्की-हल्की सरसराहट की आवाज़ आ रही थी, जैसे कोई बाहर खड़ा हो। नील ने धीरे से खिड़की के पास जाकर पर्दा हटाया। बाहर कोई नहीं था, लेकिन हवा में कुछ अजीब था। एक तरह की रहस्यमय धुंध, जो पूरी गली में फैली हुई थी।  अचानक, उसे सामने वाली इमारत की खिड़की में कोई परछाई दिखी। कोई उसे घूर रहा था। नील ने झट से पर्दा गिरा दिया और पीछे हट गया। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।  

अगली सुबह, नील ने होटल के मालिक से इस शहर के बारे में पूछा। बूढ़े आदमी ने एक गहरी साँस ली और कहा, "तुम जिस जगह आए हो, वह कोई आम शहर नहीं। यहाँ हर रात कुछ अनहोनी होती है।" 

नील की जिज्ञासा बढ़ गई। उसने तय किया कि वह इस रहस्य को सुलझाकर ही रहेगा।  वह शहर की गलियों में घूमने निकला। जगह-जगह पुराने खंडहर और वीरान गलियां उसे और भी ज्यादा हैरान कर रही थीं। बाजार में कुछ बुजुर्ग लोग बैठे थे, लेकिन जैसे ही नील उनके पास गया, वे चुप हो गए और इधर-उधर देखने लगे।  

एक किताबों की दुकान पर उसे वही पुरानी किताब मिली, जिसके ज़रिए उसने इस शहर के बारे में जाना था। उसने उसे खोला और पढ़ना शुरू किया। किताब के मुताबिक, यह शहर कभी एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र था, लेकिन एक रहस्यमय घटना के बाद यह वीरान हो गया। 

रात होने पर, नील ने फिर से खिड़की के बाहर झाँका। वही धुंध, वही अजीब सरसराहट। लेकिन इस बार, उसे धुंध में कुछ आकृतियाँ हिलती-डुलती नजर आईं। यह सिर्फ उसका भ्रम नहीं था कोई था वहाँ।  वह धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरा और होटल से बाहर निकल आया। गली में घना अंधेरा था, लेकिन उसने हिम्मत जुटाकर आगे बढ़ने का फैसला किया।  

तभी, उसके पीछे एक धीमी आवाज़ आई "तुम यहाँ नहीं होने चाहिए। "नील ने मुड़कर देखा एक अधेड़ उम्र की औरत थी, जिसकी आँखों में भय था।  

"कौन हो आप?" नील ने पूछा।  

"यहाँ से जाओ, इससे पहले कि वे तुम्हें देख लें!"  

"वे कौन?"  

लेकिन औरत बिना जवाब दिए तेज़ी से गली में गायब हो गई।  नील को अब पूरा यकीन हो गया था कि इस शहर में कुछ तो था, जिसे कोई नहीं बताना चाहता। उसने अपनी किताब फिर से देखी और एक पंक्ति पर ध्यान दिया। "रात के समय यह शहर उन लोगों का होता है, जो कभी गए ही नहीं।"

अब उसे सब समझ आ गया था। यह कोई आम शहर नहीं था। यह भूतों का शहर था, जहाँ जो एक बार आया, वह वापस नहीं जा सका।  पीछे से अचानक किसी ने उसका नाम पुकारा। उसने घबराकर मुड़कर देखा और फिर अंधेरा घना हो गया।  

नील का पूरा शरीर सुन्न पड़ गया। उसने घबराकर चारों ओर देखा, लेकिन कोई नहीं था। पर जिस आवाज़ ने उसका नाम पुकारा था, वह अब भी उसके कानों में गूंज रही थी।  हवा अचानक और ठंडी हो गई थी, और गली में बिछी धुंध और गहरी होती जा रही थी। तभी, दूर से धीमी-धीमी फुसफुसाहटें सुनाई देने लगीं, जैसे कई लोग आपस में कुछ कह रहे हों।  

नील के रोंगटे खड़े हो गए। उसे एहसास हुआ कि अगर वह यहाँ और देर रुका, तो शायद कभी वापस नहीं जा पाएगा। उसने तेजी से होटल की ओर भागना शुरू कर दिया, लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, गली लंबी होती गई। उसे लगने लगा कि वह एक ही जगह पर चक्कर काट रहा है।  

"यह कैसे हो सकता है?" उसने खुद से बड़बड़ाया।  

तभी, उसे अपनी जेब में रखी पुरानी किताब का ख्याल आया। उसने तुरंत उसे निकाला और जल्दी-जल्दी पन्ने पलटने लगा।  एक जगह लिखा था  "अगर कोई इस शहर में खो जाए, तो उसे वही रास्ता अपनाना चाहिए जो सबसे अधिक अंधेरा हो। केवल अंधेरा ही इस पहेली को हल कर सकता है।"  

नील के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। यह अजीब सलाह थी, लेकिन उसके पास और कोई विकल्प नहीं था। उसने अपनी टॉर्च बंद की और सबसे अंधेरी गली की ओर बढ़ने लगा।  जैसे ही उसने पहला कदम रखा, हवा की सरसराहट बढ़ गई। परछाइयाँ उसके चारों ओर घूमने लगीं। कुछ पल के लिए उसे लगा कि कोई उसके कानों में फुसफुसा रहा है।  "तुम्हे यहाँ नहीं होने चाहिए थे..." 

नील ने खुद को संभाला और आगे बढ़ता रहा। गली संकरी होती गई, और अचानक, वह एक पुराने, जर्जर दरवाज़े के सामने खड़ा था। दरवाज़ा हल्का-सा खुला हुआ था, मानो किसी का इंतजार कर रहा हो।  उसने अंदर झांका कमरा पूरी तरह खाली था, बस दीवारों पर कुछ पुरानी तस्वीरें टंगी थीं।  नील ने उनमें से एक तस्वीर को गौर से देखा उसके शरीर में ठंड की लहर दौड़ गई।  

तस्वीर में वही बूढ़ा होटल मालिक था, लेकिन उसके साथ कई अन्य लोग भी थे। उनकी आंखें काली थीं, और चेहरे पर अजीब-सा ठहराव था। नील ने बाकी तस्वीरें देखीं सब में अलग-अलग लोग थे, लेकिन उनकी आँखों में वही अजीब चमक थी।  तभी, किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा।  नील की चीख निकल गई।  उसने तेजी से मुड़कर देखा वही बूढ़ा आदमी वहाँ खड़ा था।  

"अब तुम बहुत आगे आ चुके हो, बेटे..." उसने ठंडी आवाज़ में कहा।  नील को एहसास हुआ कि वह इस शहर में अकेला नहीं था। यह शहर जिंदा था और वह इसका अगला हिस्सा बनने वाला था।  नील का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। बूढ़े आदमी की ठंडी, भावशून्य आँखें उसके दिल में खौफ पैदा कर रही थीं। नील ने धीरे-धीरे एक कदम पीछे लिया, लेकिन बूढ़े ने उसकी कलाई कसकर पकड़ ली।  

"अब तुम इस रहस्य को जान चुके हो, और जो इसे जान जाता है, वह वापस नहीं जा सकता..." बूढ़े आदमी की आवाज़ कमरे में गूंज उठी।  नील ने झटके से अपनी कलाई छुड़ाई और तेजी से दरवाज़े की ओर भागा, लेकिन जैसे ही उसने बाहर कदम रखा, वह वहीं होटल के अपने कमरे में आ गिरा।  नील हांफ रहा था। वह चारों ओर देखने लगा कमरा वैसा ही था, जैसा उसने छोड़ा था। लेकिन एक चीज़ बदली हुई थी दीवार पर एक पुरानी घड़ी लटकी थी, और उसकी सुइयाँ तेज़ी से उल्टा घूम रही थीं।  

"यह क्या हो रहा है?" 

नील ने बड़बड़ाया।  तभी दरवाजे के नीचे से एक कागज फिसलकर अंदर आया। नील ने उसे उठाया उसमें सिर्फ एक पंक्ति लिखी थी:  "अगर भागना है, तो सूरज उगने से पहले रास्ता खोजो।"  नील ने खिड़की से बाहर देखा अभी भी घना अंधेरा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब असली है या कोई सपना।  तभी दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया, और बाहर वही गहरी धुंध थी। नील ने अपनी हिम्मत जुटाई और बाहर निकल आया। गलियां सुनसान थीं, लेकिन हर तरफ हलचल थी अदृश्य फुसफुसाहटें, हवा में हिलती परछाइयाँ, और महसूस होती निगाहें।  अचानक, सामने वाली इमारत की खिड़की में वही औरत खड़ी थी, जिसने कल उसे चेतावनी दी थी। उसने इशारे से नील को अपने पास बुलाया।  नील ने बिना वक्त गँवाए दौड़ लगाई और इमारत के अंदर घुस गया।  

"अब देर मत करो!" औरत ने कहा। "यह शहर एक भूलभुलैया है। हर रात यह खुद को बदलता है, और अगर सूरज उगने तक तुम बाहर नहीं निकले, तो तुम भी इनमें से एक बन जाओगे!" 

"कौन ये 'ये'?" 

नील ने घबराकर पूछा।  औरत ने उसे एक टूटी खिड़की से बाहर झाँकने को कहा।  नील ने देखा सड़क पर धुंध के अंदर कई आकृतियाँ चल रही थीं। वे इंसानों की तरह दिखती थीं, लेकिन उनके चेहरे नहीं थे, सिर्फ काले साये थे।  

"यहाँ आने वाले लोग कभी वापस नहीं जाते। वे इसी शहर का हिस्सा बन जाते हैं। और एक बार जब सूरज उगता है, तो तुम भी इनके जैसे हो जाओगे।"  नील को अब समझ आ गया था कि यह कोई आम शहर नहीं था यह एक जिंदा भूतिया भूलभुलैया थी, जो हर रात अपनी शक्ल बदलती थी।  

"मुझे यहाँ से बाहर निकलना होगा!" नील ने कहा।  औरत ने कहा, "स्टेशन का रास्ता पकड़ो, लेकिन ध्यान रहे अगर कोई तुम्हें पुकारे, तो पीछे मत देखना!" नील तेजी से भागा। गलियां घूमती जा रही थीं, पर उसे स्टेशन की हल्की रोशनी दिख रही थी। लेकिन तभी, पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई"नील! रुको!"  यह उसकी माँ की आवाज़ थी।  

नील का मन डगमगाने लगा। क्या सच में उसकी माँ यहाँ थी? क्या उसे मुड़कर देखना चाहिए?  लेकिन उसे औरत की चेतावनी याद थी"पीछे मत देखना!" नील ने अपने डर को दबाया और पूरी ताकत से दौड़ लगाई। स्टेशन करीब था।  पीछे से आवाज़ें और तेज़ हो गईं। अब कई लोग उसे पुकार रहे थे बूढ़ा होटल मालिक, वह औरत, अजनबी आवाज़ें।  

"नील, रुक जाओ! तुम बच नहीं सकते!" 

नील ने अपनी आँखें बंद कीं और दौड़ता रहा।  जैसे ही वह स्टेशन के अंदर घुसा, अचानक सब कुछ शांत हो गया।  वह हांफते हुए पीछे मुड़ा शहर गायब हो चुका था। वहाँ सिर्फ एक खाली मैदान था, जहाँ न सड़कें थीं, न होटल, न ही कोई इमारत।  

सूरज उग रहा था।  नील को समझ नहीं आ रहा था कि वह सपने में था या असलियत में, लेकिन एक चीज़ साफ थी—वह बच गया था।  उसने जेब में हाथ डाला और पाया कि पुरानी किताब अब भी उसके पास थी। लेकिन जब उसने उसे खोला, तो अंदर सिर्फ एक ही पंक्ति लिखी थी   "अगली बार इतना भाग्यशाली नहीं रहोगे।





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