भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में नया अध्याय

विनोद कुमार झा

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों को सुधारने की दिशा में केंद्र सरकार ने हाल ही में कुछ अहम फैसले लिए हैं। इनमें बॉर्बन व्हिस्की और कैलिफोर्नियन वाइन पर आयात शुल्क में कटौती जैसे कदम शामिल हैं, जिनका उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष को संतुलित करना और घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर ये उत्पाद उपलब्ध कराना है। वर्तमान में, भारत में बॉर्बन व्हिस्की पर 150% आयात कर लागू है, जिसमें से 50% मूल सीमा शुल्क और शेष 50% कृषि बिक्री कर के रूप में वसूला जाता है। सरकार इस कर को घटाकर 100% करने पर विचार कर रही है। यह कदम अमेरिकी व्हिस्की उद्योग को प्रोत्साहन देगा और भारतीय उपभोक्ताओं को इन उत्पादों को कम कीमतों पर उपलब्ध कराएगा।

यह पहली बार नहीं है जब भारत ने आयात शुल्क में कटौती की है। 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट में लग्जरी कार, सोलर सेल और मशीनरी पर सीमा शुल्क पहले ही कम किया जा चुका है। इन नीतिगत सुधारों से भारत में व्यापार करने की लागत कम होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी। भारत, अमेरिका से लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) के आयात पर कर समाप्त करने की योजना पर भी विचार कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, और लक्ष्य यह रखा गया था कि भारत अमेरिकी ऊर्जा खरीद को 10 अरब डॉलर से बढ़ाकर 25 अरब डॉलर करेगा।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, एलएनजी पर आयात शुल्क समाप्त करने से अमेरिकी गैस की कीमत अधिक प्रतिस्पर्धी होगी, जिससे भारत को सस्ती दरों पर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इसके अतिरिक्त, यह निर्णय भारत-अमेरिका व्यापार अधिशेष को संतुलित करने में भी मदद करेगा। अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्कों का भारत पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। नीति आयोग के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए नए टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को खास नुकसान नहीं होगा। उल्टा, भारत को नए बाजारों में अवसर मिल सकते हैं, क्योंकि चीन, मेक्सिको और कनाडा जैसे देशों की तुलना में भारत की स्थिति अधिक अनुकूल है।

भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों में सुधार लाने के लिए सरकार की यह नीति दूरगामी प्रभाव डाल सकती है। इन नीतिगत सुधारों से भारत में व्यापार सुगमता बढ़ेगी और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा। यदि ये सुधार सफल रहते हैं, तो भारत अन्य देशों के साथ भी इसी तरह के समझौते कर सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी और अधिक मजबूत होगी। अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष को संतुलित करने और घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम है। व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करने के लिए इसी तरह के और सुधारों की जरूरत बनी रहेगी।

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