भारत-सऊदी संबंधों की नई ऊंचाइयों की ओर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब की तीसरी राजकीय यात्रा एक सामान्य राजनयिक दौरे से कहीं अधिक है यह एक नए युग की शुरुआत का संकेत है जिसमें भारत और सऊदी अरब के संबंध न केवल परस्पर हितों तक सीमित हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और आर्थिक समृद्धि की दिशा में एक संयुक्त यात्रा के रूप में उभर रहे हैं। 2014 के बाद से, प्रधानमंत्री मोदी ने खाड़ी देशों के साथ भारत की विदेश नीति को एक नई दिशा दी है, और सऊदी अरब के साथ संबंधों को अभूतपूर्व ऊंचाई दी है। जहाँ पहले सात दशकों में तीन प्रधानमंत्रियों ने कुल तीन बार सऊदी दौरा किया, वहीं मोदी अकेले ही तीसरी बार वहां जा रहे हैं। यह न केवल भारत की खाड़ी नीति की प्राथमिकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत अब अपने पारंपरिक संबंधों से आगे बढ़कर बहुआयामी रणनीतिक साझेदारियों की ओर बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा उस समय हो रहा है जब विश्व एक बार फिर पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव, ऊर्जा सुरक्षा, और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है। ऐसे में सऊदी अरब जैसे देश, जो क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक ऊर्जा संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, के साथ भारत की निकटता सिर्फ द्विपक्षीय नहीं, बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने स्वयं अरब न्यूज को दिए गए साक्षात्कार में इस ओर संकेत करते हुए सऊदी अरब को "स्थिरता और सकारात्मकता की शक्ति" कहा।

यह यात्रा सिर्फ राजनीतिक शिष्टाचार तक सीमित नहीं है। यह भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की निरंतरता, निवेश प्रतिबद्धताओं की समीक्षा, रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी, तकनीकी नवाचार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में ठोस कार्ययोजनाओं को मूर्त रूप देने का अवसर है। भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और सऊदी अरब के विजन 2030 के साथ इसका मेल वैश्विक विकास के नए रास्ते खोल सकता है। भारत और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक सामाजिक-सांस्कृतिक संपर्क, और प्रवासी भारतीयों की भूमिका इस साझेदारी को और अधिक गहराई प्रदान करते हैं। सऊदी अरब में 26 लाख से अधिक भारतीयों की उपस्थिति दोनों देशों के बीच 'people-to-people connect' की बुनियाद को मजबूत करती है।

यह उल्लेखनीय है कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान स्वयं भारत को अपना "प्राथमिक साझेदार" मानते हैं, और जी-20 सम्मेलन के दौरान उनकी भारत यात्रा ने इस द्विपक्षीय रिश्ते को एक नई मजबूती प्रदान की। अब प्रधानमंत्री मोदी की जेद्दा यात्रा उस विश्वास और सहयोग की अगली कड़ी है। भारत की "पड़ोसी पहले" की विदेश नीति अब "विस्तारित पड़ोस" तक विस्तार पा चुकी है, और सऊदी अरब जैसे साझेदार इसमें केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। आने वाले समय में यह साझेदारी न केवल रणनीतिक हितों की रक्षा करेगी, बल्कि यह दिखाएगी कि दो बड़े विकासशील देश धर्म, संस्कृति और परंपराओं की विविधता के बावजूद कैसे वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।

इस यात्रा से जो उम्मीदें बंध रही हैं, वे सिर्फ समझौतों और घोषणाओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह जरूरी है कि दोनों देश पारस्परिक सम्मान, दीर्घकालिक दृष्टिकोण, और संयुक्त वैश्विक उत्तरदायित्व की भावना के साथ इस साझेदारी को आगे बढ़ाएं। भारत और सऊदी अरब के रिश्तों में असीम संभावनाएं हैं जरूरत है उन्हें पहचानने, पोषित करने और वैश्विक भलाई के लिए सक्रिय रूप से उपयोग करने की।

(संपादक)

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